Kanpur News: बिकरु कांड के के मुख्य मामले में आरोपी खुशी दुबे पर आरोप तय करने को लेकर मंगलवार को जिला न्यायालय में बहस हुई.बहस के दौरान बचाव पक्ष ने दलील दी कि खुशी के खिलाफ पुलिस के पास कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नही है.
आपको बता दे की 2 जुलाई2020 को बिकरु गांव में कुख्यात बदमाश विकास दुबे और उसके गुर्गों ने सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी. पुलिस ने मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को भी आरोपी बनाया है.पुलिस ने खुशी पर वे सभी धाराएं लगाई है जो विकास समेत अन्य बदमाशों पर लगी है.मामले की सुनवाई अपर जिला सत्र न्यायाधीश 13 पॉक्सो कोर्ट शैलेन्द्र वर्मा की अदालत में चल रही है. सुनवाई की अगली तिथि 30 मार्च कर दी गई है.
बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने तर्क रखा कि मुख्य मामले में खुशी नामजद अभियुक्त नही है. पुलिस ने उसे मनमाने ढंग से बाद में आरोपी बना दिया .बिकरु कांड में जो भी हत्याएं हुई है उनका सीधा आरोप भी खुशी पर नही है. सुनवाई के दौरान खुशी कोर्ट उपस्थित रही.
प्रताड़ना के आरोप में पुलिस 3 माह बाद भी नही दे पाई रिपोर्ट
पुलिस अभिरक्षा में प्रताड़ना के मामले में तीन माह बाद भी पुलिस रिपोर्ट नही दे सकी है.इससे खुशी के प्रार्थना पत्र का निपटारा नही हो पाया. खुशी के अधिवक्ता ने बताया कि 01 जनवरी को कोर्ट में खुशी ने प्रार्थना पत्र देकर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे.केस डायरी पढ़ने के बाद पता चला कि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी 8 जुलाई 2020 दिखाई है जबकि उसे 4 जुलाई को ही पकड़ लिया गया था.4 दिन तक उसे थाने मे रखकर तरह तरह की प्रताड़ना दी गई थी.उसने पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की थी. इसे गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने चौबेपुर पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी.