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अब बिना एक्टिव सिम के नहीं चलेगा WhatsApp, Telegram और Snapchat, 90 दिनों में लागू होगा SIM-बाइंडिंग नियम

भारत सरकार ने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए एक नया आदेश जारी किया है, जिससे लाखों लोगों के WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, ShareChat, JioChat, Arattai और Josh जैसे पॉपुलर मैसेजिंग ऐप्स को इस्तेमाल करने के तरीके को बदल सकता है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने इन प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल के लिए एक्टिव सिम कार्ड जरूरी कर दिया है. यानी कि बिना एक्टिव सिम कार्ड के यूजर्स इन मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.

SIM-Binding Rule: अगर आप WhatsApp, Snapchat या Telegram का इस्तेमाल करते हैं, तो फिर ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि, अब बिना एक्टिव सिम कार्ड के आप इन पॉपुलर प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. यानी कि स्मार्टफोन से सिम निकालते ही आप इन ऐप्स का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. दरअसल, भारतीय दूरसंचार विभाग (DoT) ने WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, ShareChat, JioChat, Arattai और Josh जैसे पॉपुलर ऐप्स को बड़ा निर्देश जारी किया है. इस नये आदेश के तहत अब यूजर्स बिना एक्टिव सिम कार्ड के इन मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.

यह नया नियम भारत के Telecommunication Cybersecurity Amendment Rules, 2025 का हिस्सा है, जिसके जरिए पहली बार ऐप-आधारित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को टेलीकॉम जैसी कड़ी निगरानी और नियमों के दायरे में लाया जा रहा है. वहीं, DoT ने कंपनियों को इन बदलावों को लागू करने के लिए सिर्फ 90 दिन का समय दिया है.

क्या है नया नियम?

सरकार ने इन ऐप्स को Telecommunication Identifier User Entities (TIUEs) की श्रेणी में रखा है. निर्देशों के अनुसार, ऐप्स को अगले 90 दिनों के भीतर यह सुनिश्चित करना होगा कि यूजर्स के सिम कार्ड लगातार उनकी सर्विस से जुड़े रहें. यानी ऐप तभी चलेगा जब डिवाइस में एक्टिव सिम मौजूद होगी. वहीं, इसके अलावा ऐसे यूजर जो इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल वेब ब्राउजर के जरिए करते हैं, उनके लिए DoT ने एक और बड़ा बदलाव लागू किया है. अब प्लेटफॉर्म्स को हर 6 घंटे में वेब यूजर्स को ऑटो-लॉगआउट करना होगा. साथ ही दोबारा एक्सेस के लिए QR कोड के माध्यम से रिअथेंटिकेशन अनिवार्य होगा. सरकार का कहना है कि इससे अपराधियों के लिए इन ऐप्स का दूर बैठे दुरुपयोग करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि हर सेशन अब एक सक्रिय और सत्यापित सिम कार्ड से जुड़ा रहेगा.

क्यों लाया जा रहा ये नियम?

इस नये नियम को लेकर अधिकारियों का कहना है कि इसका मुख्य कारण साइबर धोखाधड़ी है. भारत के बाहर के कई घोटालेबाज कथित तौर पर पुराने या निष्क्रिय सिम कार्ड से जुड़े नंबरों का इस्तेमाल कर भारतीय मैसेजिंग ऐप में लॉग इन करते हैं. ऐसे में डिवाइस में फिजिकली सिम कार्ड मौजूद नहीं होने पर घोटालेबाज का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. ऐप्स को हर समय यह जांचने के लिए मजबूर करने से कि फोन में सही सिम है या नहीं, सरकार इस खामी को रोकने की उम्मीद करती है.

वहीं, इस नये नियम का टेलीकॉम कंपनियां भी सपोर्ट कर रही हैं. उनका कहना है कि मैसेजिंग ऐप्स फिलहाल सेटअप के दौरान आपके सिम को केवल एक बार ही वेरिफाई करते हैं. उसके बाद, हैकर्स, स्पैमर या धोखेबाजों द्वारा बिना कोई निशान छोड़े नंबर का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है.

मैसेजिंग ऐप्स को करने होंगे ये काम

ऐप्स को अब दो मुख्य नियमों का पालन करना होगा. इसमें-

  1. लगातार सिम चेक करते रहना: प्लेटफॉर्म्स को बार-बार कन्फर्म करना होगा, कि सिम कार्ड फिजिकली तौर पर फोन में है या नहीं. अगर नहीं है, तो एक्टिव सिम (जिस नंबर से अकाउंट है) के दोबारा डालने तक प्लेटफॉर्म को तुरंत काम करना बंद करना होगा.
  2. सख्त वेब लॉगिन: व्हाट्सएप वेब जैसे ऐप को अब अपने वेब यूजर्स को हर 6 घंटे में ऑटोमैटिक लॉग आउट करना होगा. वापस लॉग इन करने के लिए, यूजर्स को अपने फोन से एक नया QR कोड स्कैन करना होगा.

यूजर्स पर कैसे पड़ेगा असर?

अगर आपके डिवाइस में एक्टिव सिम कार्ड है, तो परेशानी नहीं होगा. साथ ही अगर आप वेब यूजर हैं, तो आपको बस हर 6 घंटे में लॉगिन करना होगा. हालांकि, ऐसे यूजर्स जो बिना सिम वाले डिवाइस पर ऐप्स का उपयोग कर रहे हैं, सिम तो एक फोन में रखते हैं लेकिन ऐप दूसरे फोन में इस्तेमाल करते हैं और जो यूजर्स मोबाइल नेटवर्क के बजाय ज्यादातर वाई-फाई पर भरोसा करते हैं, तो उन्हें कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. वे इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल बिना एक्टिव सिम के नहीं कर पाएंगे.

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Shivani Shah
Shivani Shah
डिजिटल पत्रकारिता में 3 सालों का अनुभव है. प्रभात खबर में जूनियर टेक कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं. टेक्नोलॉजी कैटेगरी में ये स्मार्टफोन से लेकर टेक-टिप्स, गैजेट्स, एआई, सॉफ्टवेयर और डिजिटल ट्रेंड्स पर रिसर्च-बेस्ड, इन-डेप्थ और यूजर-फोकस्ड कंटेंट लिखती हैं. इसके अलावा ये ऑटोमोबाइल से जुड़ी खबरें भी लिखती हैं.

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