Aadhaar After Death: RTI (सूचना का अधिकार) के जरिये हाल ही में सामने आया है कि पिछले 14 वर्षों के दौरान केवल 1.15 करोड़ आधार कार्ड ही डिएक्टिवेट किये गए हैं. वहीं, इसी अवधि में देश में लगभग 11 करोड़ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यानी, मृत लोगों के अधिकतर आधार कार्ड अभी भी सक्रिय ही हैं. इंडिया टुडे टीवी द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी से यह खुलासा हुआ है. इस स्थिति ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारा आधार प्रणाली पर्याप्त रूप से अपडेट हो रही है? या फिर, इसके चलते सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग संभव है?
UIDAI की प्रक्रिया और इसके कमजोर पहलू क्या हैं?
UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) मृतक आधार डिक्टिवेशन प्रक्रिया में राज्य सरकार के डेथ सर्टिफिकेट और परिवार की सूचना पर निर्भर है. इसका मतलब है कि अगर कोई परिवार या स्थानीय प्रशासन समय पर जानकारी न भेजे, तो UIDAI का सिस्टम मृत लोगों की पहचान अपडेट नहीं कर पाएगा. इस बात से यह साफ है कि इस पूरी प्रक्रिया में मैनुअल रूप से हस्तक्षेप की आवश्यकता है, जो बहुत धीमी गति से होती है.
Aadhaar After Death: क्या समस्याएं हो सकती हैं?
सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग:
मृत व्यक्ति का आधार सक्रिय रहने का मतलब है कि किसी जाली पहचान के जरिये वह योजनाएं या लाभ ले सकता है.
वित्तीय धोखाधड़ी:
बैंक खातों या सब्सिडी योजनाओं में मृत व्यक्ति की पहचान का उपयोग कर पैसा निकाला जा सकता है.
सुरक्षा जोखिम:
एक मृत व्यक्ति का आधार सक्रिय रहना व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी जोखिम भरा है, खासकर अगर वो आधार डिजिटल माध्यम से जुड़े हों.
Aadhaar After Death: विशेषज्ञ क्या सुझाव दे रहे हैं?
विशेषज्ञ इसे एक बड़ी चूक मानते हैं और सुझाव देते हैं कि:
- डिजिटल डेथ-डेटाबेस बनाकर आधार प्रणाली से सीधे लिंक किया जाना चाहिए. इससे एक ऑटोमैटिक अपडेशन होता रहेगा.
- ऑटोमेटेड डेटा इंटिग्रेशन के माध्यम से प्रक्रिया को तेज और भरोसेमंद बनाया जा सकता है.
- कानूनी प्रावधान सुनिश्चित किये जाने चाहिए, ताकि परिवार या अधिकारी समय पर जानकारी न दें तो भी प्रक्रिया शुरू हो सके.
ये उपाय न सिर्फ धोखाधड़ी को रोकेंगे, बल्कि संभावित सुरक्षा खामियों को भी खारिज करेंगे.
Aadhaar After Death: अन्य देशों में इसका मॉडल कैसा है?
- UK में मृतक डेटा रजिस्टर को सीधे डेटाबेस जैसे बैंक और सरकारी संगठनों से जोड़ा गया है, जिससे अपडेटिंग रियल-टाइम होती है.
- US में सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन मृत डेटा को आधार के साथ साझा करता है.
- कुछ यूरोपीय देशों में डेटा पॉइंट्स को रियल टाइम अपडेट सिस्टम के साथ जोड़ा गया है, जिससे आधार सिस्टम का भरोसा मजबूत होता है.
Aadhaar After Death: आधार प्रणाली को अपडेट किया कितना जाना जरूरी?
भारत जैसे डिजिटल इंडिया के दौर में, आधार कार्ड एक पहचान पारदर्शिता और सरकारी व्यवस्था का आधार है. लेकिन जब मृतकों के आधार सक्रिय रहें, तो पहचान सत्यापन और संसाधनों के वितरण में गड़बड़ी पैदा होती है. इसलिए सिर्फ तकनीकी क्षमता का विकास पर्याप्त नहीं, डिजिटल डेथ डेटा सिस्टम, कानूनी सुधार और राज्य-केंद्र डेटा समन्वय का भी समान महत्व है. यदि ये अधूरे रहे, तो आधार सिस्टम की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठेगा. इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि UIDAI को प्रक्रिया में तेजी लाने के साथ-साथ एक आधुनिक, ऑटोमेटेड और डिजिटल दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.
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