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Sharad Purnima और Blue Moon आज एक साथ, क्या है दोनों में कनेक्शन, क्या कहता है विज्ञान?

Sharad Purnima 2020, Blue Moon 2020, Purnima In October 2020 : शनिवार 31 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है. एक महीने में दूसरी पूर्णिमा होने के कारण इस रात दिखने वाला चांद ब्लू मून होगा. इसी के साथ यह शरद पूर्णिमा की रात भी होगी.

Sharad Purnima 2020, Blue Moon 2020, Purnima In October 2020 : शनिवार 31 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है. एक महीने में दूसरी पूर्णिमा होने के कारण इस रात दिखने वाला चांद ब्लू मून होगा. ब्लू मून का मतलब चांद का रंग नीला होने से नहीं है, बल्कि अलग-अलग स्थानों के वातावरण के अनुसार यह सफेद, हल्का लाल, नारंगी या पीले रंग का ही दिखाई देगा. इस बार पहली अक्टूबर के बाद अब 31 अक्टूबर को पूर्णिमा है. ब्लू मून की पूर्णिमा को परंपरागत रूप से अतिरिक्त पूर्णिमा कहा जाता है. जब एक वर्ष में आमतौर पर 12 की बजाय 13 पूर्णिमा होती हैं. औसतन हर दो से तीन साल में एक बार ऐसा होता है.

ब्लू मून क्या होता है?

शनिवार 31 अक्टूबर यानी हैलोवीन की रात आसमान में ब्लू मून (Blue Moon) नजर आने वाला है. इस खास पल के लोग साक्षी बनने वाले हैं. कोरोना (Corona) संकट ने इस साल पूरी दुनिया को बुरा दौर दिखाया है, लेकिन 31 अक्टूबर को होने जा रही ये खगोलीय घटना लोगों को एक सुखद अनुभव दे सकती है. आइए जानते हैं कि ब्लू मून आख‍िर क्या है. Blue Moon एक असामान्य घटना है जो हर दो या तीन साल में देखने को मिलती है लेकिन वर्ष 2020 में दिखने वाले इस नीले चंद्रमा को दोबारा देखने के लिए साल 2039 तक का इंतजार करना पड़ेगा. ब्लू मून अर्थात नीला चांद कहलाने वाला यह दुर्लभ नजारा काफी खास होने वाला है.

अधिक मास और शुद्ध मास की पूर्णिमा

31 अक्टूबर को पड़नेवाली पूर्णिमा शरद पूर्णिमा है, जिसका महत्व सभी पूर्णिमाओं में सबसे अधिक माना गया है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपने पूरे यौवन में होता है. एक महीने में दो पूर्णिमा का संयोग अधिक मास के कारण बना है. हिंदी पंचांग के अनुसार, जिस वर्ष एक अतिरिक्त माह होता है, उस वर्ष ऐसा संयोग बनता है. एक अक्टूबर को जो पूर्णिमा पड़ी थी, वह अश्विन अधिक मास की पूर्णिमा थी, जबकि शनिवार को पड़ने वाली अश्विन शुद्ध मास की है. शरद पूर्णिमा का महत्व बहुत अधिक होता है. इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं वाला यानी पूरी शक्ति वाला और पृथ्वी के सबसे अधिक नजदीक होता है. इसका मानव शरीर पर अच्छा असर पड़ता है.

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शरद पूर्णिमा और खीर का भोग

16 कलाओं से युक्त शरद पूर्णिमा बहुत विशिष्ट है. इस पर चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से युक्त मानी जाती है. मान्यता है कि इस रात ऐसे मुहूर्त में चंद्र किरणों में कुछ रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर को बल प्रदान करते हैं तथा संतान प्राप्ति में सहायक होते हैं. इसीलिए रातभर खुले आसमान के नीचे खीर रखी जाती है और अगली सुबह उसका सेवन किया जाता है. शरद पूर्णिमा की खीर का भोग व्यक्ति को निरोगी बनाता है. शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की आराधना की जाती है और इसी दिन से देव दीपावली के निमित्त दीपदान भी शुरू हो जाएगा.

शरद पूर्णिमा महालक्ष्मी का जन्मदिन

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है और इसे आश्विन पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक आ जाता है, जिससे उसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. साथ ही, इस दिन महालक्ष्मी का जन्म भी हुआ था. समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, जिसे लक्ष्मी जयंती के नाम से भी जानते हैं. शरद पूर्णिमा से ही हेमंत ऋतु का आरंभ अर्थात ठंड बढ़नी शुरू हो जाती है. इस बार की पूर्णिमा भी खगोलीय दृष्टि से ऐतिहासिक होगी क्योंकि यह ब्लू मून (Blue Moon) की रात होगी. इसके बाद नीला चंद्र 19 साल बाद ही देखा जा सकेगा.

चंद्रमा के भौतिक गुणों में बदलाव

नासा से मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर ब्लू मून पीले और सफेद दिखते हैं, लेकिन ये चांद उन सभी से हटकर होगा जो अभी तक देखे गए हैं. कैलेंडर के महीने में बदलाव होने पर दूसरी पूर्णिमा के चंद्रमा के भौतिक गुणों (आकार-प्रकार) में बदलाव नहीं होता है, इसलिए इसका रंग एक ही रहता है. नासा ने बताया कि वैसे कभी कभी नीला चांद दिखना सामान्य है लेकिन इसके पीछे वजह अलग होती है. ये अक्सर वायुमंडलीय परिस्थितियों के चलते नीला नजर आने लगता है. इसमें कैलेंडर का समय बदलने की वजह शामिल नहीं होती है.

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ब्लू मून का मतलब नीला चांद नहीं

साल 1883 में ऐसी ही एक घटना का उदाहरण सामने आया था. उस दौरान ज्वालामुखी क्राकोटा फट गया था. इससे ज्वालामुखी से निकलने वाली धूल हवा में घुल गई थी. इससे चांद नीला दिखाई देने लगा था लेकिन इसे खगोलीय घटना नहीं माना जाएगा. वैसे भी ब्लू मून का मतलब नीला चांद नहीं है. बल्क‍ि एक माह में दो पूर्ण‍िमा होने पर दूसरी पूर्ण‍िमा के फुल मून को ब्लू मून कहा जाता है. इस तरह की खगोलीय घटनाएं कई साल में एक बार होती हैं. यह ब्लू मून मासिक यानी कैलेंडर के आधार पर होगा. 31 अक्टूबर, 2020 को पूर्णिमा होगी यानी इस दिन पूरा चांद दिखाई देगा. वैसे अक्टूबर के महीने में दो पूर्ण चंद्रमा निर्धारित हैं, लेकिन इसमें बाद का यानी 31 अक्टूबर का पूर्ण चंद्रमा ब्लू मून के रूप में नजर आएगा.

कैसे देखें ब्लू मून?

खगोल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अगर 31 अक्टूबर की रात आसमान साफ रहेगा, तो इस रात कोई भी टेलीस्कोप की मदद से ब्लू मून देख सकता है. इस खगोलीय घटना का साक्षी बनने के लिए कई खगोल वैज्ञानिक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. बताते चलें कि चंद्र मास की अवधि 29.531 दिनों, यानी 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकेंड की होती है, इसलिए एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होने के लिए पहली पूर्णिमा उस महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए. ये 31 अक्टूबर को होने जा रहा है, इसलिए ये खगोलीय घटना खास मानी जा रही है.

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