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हिंदी भारत की राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं

सिलीगुड़ी : हिंदी भारत की राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं. इसे 14 सितंबर 1949 को ही स्वीकृत कर दिया गया था. भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का उल्लेख ही नहीं है. यह कहना है हिंदी के प्रखर वक्ता सह साहित्यकार डॉ. आरपी सिंह का. वे गुरुवार को शहर के सेवक मोड़ स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के सिलीगुड़ी […]

सिलीगुड़ी : हिंदी भारत की राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं. इसे 14 सितंबर 1949 को ही स्वीकृत कर दिया गया था. भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का उल्लेख ही नहीं है. यह कहना है हिंदी के प्रखर वक्ता सह साहित्यकार डॉ. आरपी सिंह का. वे गुरुवार को शहर के सेवक मोड़ स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के सिलीगुड़ी क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित ‘हिंदी कार्यशाला’ में बतौर वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. दफ्तर के सभा कक्ष में आयोजित इस कार्यशाला का शुभारंभ डॉ. सिंह व इंश्योरेंस कंपनी के क्षेत्रिय प्रबंधक राजेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि देश की बड़ी आबादी हिंदी का इस्तेमाल बड़े अर्से से करते आ रही है और हिंदी में सभी भाषाओं को लेकर चर्चा करने की क्षमता है, इसी के मद्देनजर हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया. कार्यशाला के दौरान डॉ. सिंह ने यूनाइटेड इंश्योरेंश के समस्त पदाधिकारी व कर्मचारियों को ‘राजभाषा नियम, अधिनियम व कार्यान्वयन’ का पाठ भी पढ़ाया. साथ ही दफ्तर के समस्त कार्य चाहे वह ऑनलाइन हो या फिर ऑफलाइन सभी हिंदी में करने की विस्तृत जानकारी दी और सबों के साथ अपना वर्षों का तजुर्बा साझा किये.
बाद में सिलीगुड़ी कॉलेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो अजय शाव ने ‘व्यावहारिक हिंदी व्याकरण’ विषय की सबों तालिम दी. कार्यशाला का समापन कंपनी के क्षेत्रीय कार्यालय सहायक प्रबंधक (राजभाषा) अशोक कुमार सिंह ने खुला सत्र में अपना वक्तव्य व सबों को धन्यवाद ज्ञापन देकर किया. कार्यशाला में बड़ी संख्या में पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे.

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