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सिलीगुड़ी: बसों पर की सामान की ढुलाई तो खैर नहीं

मोहन झा, सिलीगुड़ी : 48 वर्ष बाद सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कानून के अनुसार सख्ती बरत रही है तो इंटर स्टेट व इंटरसिटी बस सेवा देने वाले वाले निजी बस मालिकों और परिवहन संस्थाओं पर गाज गिरने लगी है. इससे बस मालिक व बुकिंग एजेंट तो परेशान हैं ही साथ ही यात्रियों को भी परेशानी का […]

मोहन झा, सिलीगुड़ी : 48 वर्ष बाद सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कानून के अनुसार सख्ती बरत रही है तो इंटर स्टेट व इंटरसिटी बस सेवा देने वाले वाले निजी बस मालिकों और परिवहन संस्थाओं पर गाज गिरने लगी है. इससे बस मालिक व बुकिंग एजेंट तो परेशान हैं ही साथ ही यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
इसके अतिरिक्त नाइट सुपर बस सेवा से जुड़े दैनिक मजदूर के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है. बल्कि सिलीगुड़ी जंक्शन निजी बस स्टैंड में काम कर गुजारा करने वाले मजदूरों का पलायन भी शुरू हो गया है. इन सबके साथ उत्तर अपना छोटा-मोटा व्यवसाय चलाने वाले दूसरे राज्यों के व्यापारी व उनका व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है. इधर, पुलिस की सख्ती से परेशान सिलीगुड़ी बस ऑनर एंड बुकिंग एजेंट वेलफेयर एसोसिएशन आंदोलन की तैयारी में है.
यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी जंक्शन में बीते 48 वर्षों से निजी बस स्टैंड है. जंक्शन बस स्टैंड में बसों की सीट बुकिंग के लिए 35 से अधिक काउंटर हैं. यहां से पड़ोसी राज्य बिहार, असम, झारखंड के साथ राज्य के विभिन्न शहरों कोलकाता, बहरमपुर, आसनसोल, चाकदा आदि के लिए बस सेवा उपलब्ध है. बिहार के किशनगंज, कटिहार, पुर्णिया, भागलपुर, खगड़िया से होकर बेगूसराय, बरौनी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पटना, छपरा, सिवान के साथ झारखंड राज्य के रांची, दुमका, देवघर, हजारीबाग, रामगढ़, जमशेदपुर व असम के तेजपुर, गुवाहाटी आदि के लिए बसें उपलब्ध हैं.
वर्तमान में सिलीगुड़ी जंक्शन से राज्य के विभिन्न शहरों के लिए 20, पड़ोसी राज्य बिहार के लिए 50 से अधिक, असम के लिए 20 व झारखंड के लिए पांच से अधिक बसें हैं. शुरू से ही बसों में यात्रियों के साथ ही सामानों की भी ढ़ुलायी हो रही है. लेकिन सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ने इस बार नाइट सुपर बसों की छत पर सामान लादने पर अंकुश लगा दिया है. सामान लादने वाली बसों पर न्यूनतम 2100 रूपए के चालान का प्रावधान जारी कर दिया गया है. बार-बार पकड़े जाने पर चालान की रकम दोगुनी करने की तैयारी शुरू कर दी गयी है.
मिली जानकारी के अनुसार करीब बीस दिन पहले से बसों की छत पर सामान लादने के खिलाफ पुलिस ने सख्ती बरतनी शुरू की है. सिलीगुड़ी जंक्शन के बुकिंग एजेंटो का कहना है कि बिहार, झारखंड, असम व राज्य के विभिन्न शहरों में नहीं बल्कि सिर्फ सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट एरिया में ही सामान लादने की मनाही प्रशासन की ओर से लागू की गयी है.
उत्तर बंगाल के लकड़ी व बेंत के बने उत्पाद, दार्जिलिंग व डुआर्स की चाय, फूल झाड़ू आदि बिहार, झारखंड व कोलकाता जैसे शहरों में भेजने का काम होता है. बिहार व झारखंड के छोटे-छोटे व्यापारी पांच से दस बैग चाय की पत्तियां मंगवाते हैं और उसे वहां बेचते हैं. प्रतिदिन सिलीगुड़ी से 100 से अधिक चाय की बोरी बिहार व झारखंड के लिए रवाना होती है. इसके अतिरिक्त कुछ यात्री अपने साथ बेंत व लकड़ी के बने उत्पाद बिहार ले जाते हैं. ये बिहार के मुकाबले यहां सस्ता है. इसके अतिरिक्त बिहार से आने वाली बसों में मछली मंगायी जाती है.
48 साल बाद पुलिस ने शुरू की सख्ती, पहली बार कटेगा 2100 रुपये का चालान
सरकारी बसों पर कार्रवाई नहीं
आरोप है कि छतों पर सामान न लादने का फरमान सिर्फ निजी बसों पर जारी किया गया है. जबकि उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन निगम (एनबीएसटीसी) की कोलकाता से आने वाली बसों की छतों पर गेंदा फूल सहित अन्य सामान लदे होने के बाद पुलिस प्रशासन उस पर हाथ नहीं डालती है. निजी बसों की छत पर सामान लादने पर पाबंदी लगाने के बाद से काम करने वाले मजदूरों पर भारी गाज गिरी है. लोडिंग-अनलोडिंग का काम बंद होने से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है.
बल्कि सामान ढोने वाले वैन व रिक्शा चालक भी परेशान हो रहे हैं. सामान लादने की मनाही का फरमान जारी होने से बस मालिकों व बुकिंग एजेंटो की चिंता भी बढ़ गयी है. इस फरमान से 500 से अधिक मजदूर, वैन व रिक्शा चालकों के साथ कुल 1000 लोगों की रोजी-रोटी पर आफत है. अर्जुन राय,राजेश राय,संतोष कामती,बबलू राय आदि मजूदरों ने बताय कि लगता है अब यहां से दाना-पानी खत्म होने वाला है.
यात्रियों की सवारी से नहीं चलता काम
मिली जानकारी के अनुसार, कोलकाता से सिलीगुड़ी के बीच पांच टोल प्लाजा है. बिहार की रूट पर बंगाल राज्य की सीमा में दो टोल प्लाजा हैं. सभी टोल प्लाजा पर सामान के लिए अलग से टैक्स अदा किया जाता है. जो कि 1400 से 3000 रूपये तक है. इसके बाद भी सिलीगुड़ी की पुलिस सामान लादने के खिलाफ सख्ती बरत रही है. सिलीगुड़ी बस ऑनर व बुकिंग एजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के श्रवण मिश्रा ने बताया कि वर्ष में औसतन 90 दिन ही बसें यात्रियों से भरी होती है.
लगन व पूजा के मौसम को छोड़कर बसों में यात्रियों का टोटा रहता है. सामान ढुलाई से ही बस मालिक, एजेंट, चालक खलासी सहित मजदूरों की रोजी-रोटी चल रही है. निजी बसों की छतों पर सामान लादने पर लगी पाबंदी पर सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस से बातचीत की जायेगी. राहत नहीं मिलने पर आंदोलन का रास्ता अपनायेंगे.
क्या कहते हैं डीसीपी ट्रैफिक
इस विषय पर सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के डिप्टी पुलिस कमिश्नर (ट्राफिक) नागेंद्रनाथ त्रिपाठी ने बताया कि बसों की छतों पर सामान लादना गैर कानूनी है. इसलिए इस पर पाबंदी लगायी गयी है. इससे पहले या अन्य शहरों में क्या हो रहा है, उस पर गौर करने से अधिक शहर व नागरिकों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है.
उन्होंने आगे कहा कि बसों की छत पर सामान अधिक लादे जाने की वजह से घुमाव पर बस पलटने व बस के पीछे चलने वाली गाड़ियों के दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. इसकी वजह से कई बड़े हादसे भी हुए हैं. सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही कानून पर अमल किया गया है. बस यात्रियों को ढोने के लिए है. सामान ढोने के लिए ट्रक व अन्य माध्यम है. सफर करने वाले यात्रियों के पास सूटकेस या बैग आदि होती है. बेंत लकड़ी का सामान, चायपत्ती, झाड़ू आदि ढोने के लिए अलग माध्यम का उपयोग करना होगा.

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