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ममता बनर्जी को सिर्फ बंगालियों की चिंता, गोरखाओं की नहीं
सिलीगुड़ी : असम में एनआरसी के बाद अलग गोरखालैंड राज्य की मांग एक बार फिर से उठी है. असम में एनआरसी से वंचित 40 लाख में से 1 लाख लोगों के गोरखा होने का दावा गोरखालैंड निर्माण मोर्चा ने किया है. असम में एनआरसी लागू होने के बाद मणिपुर से भी गोरखाओं को खदेड़े जाने […]
सिलीगुड़ी : असम में एनआरसी के बाद अलग गोरखालैंड राज्य की मांग एक बार फिर से उठी है. असम में एनआरसी से वंचित 40 लाख में से 1 लाख लोगों के गोरखा होने का दावा गोरखालैंड निर्माण मोर्चा ने किया है. असम में एनआरसी लागू होने के बाद मणिपुर से भी गोरखाओं को खदेड़े जाने की आशंका पार्टी ने जतायी है. एनआरसी से गोरखालैंड की मांग को जोड़ते हुए पार्टी अध्यक्ष दावा पाखरिन ने राज्य व केंद्र सरकार की आलोचनी की है.
मंगलवार को गोरखालैंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष दावा पाखरिन सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि असम में लागू किये गये एनआरसी से जिन 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया है, उसमें 1 लाख गोरखा शामिल हैं. ये सभी पिछले लंबे अरसे से असम में रह रहे हैं. श्री पाखरिन ने आगे कहा कि एनआरसी से वंचित 40 लाख लोगों में विभिन्न जाति व भाषा-भाषी के लोग शामिल है.
बंगाल के भी काफी नागरिक काफी समय से असम में बसे हुए हैं. एनआरसी से वंचित बंगालियों के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आवाज उठायी है. लेकिन गोरखाओं के लिए उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकला. उन्होंने कहा कि गोरखाओं ने देश की आन-बान व शान के लिए लहू बहाया है. आज उन्हीं गोरखाओं को देश में अपनी पहचान के की लड़ाई लड़नी पड़ रही है. यदि आज गोरखालैंड राज्य होता तो उसके मुख्यमंत्री भी गोरखा के लिए आवाज उठाते.
गोरखालैंड अलग राज्य की मांग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हम किसी राजनीतिक, विकास व अन्य कारणों के लिए नहीं बल्कि अपनी पहचान के लिए गोरखालैंड राज्य की मांग कर रहे हैं. इसके लिए ही बीते दो बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया गया. लेकिन भाजपा भी अपना वादा भूल गयी.
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