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सेतिझोड़ा में भूस्खलन, तीन घंटे बाधित रहा यातायात

2015 में भी सेतिझोड़ा में हुआ था भूस्खलन तब से लगातार प्रभावित रहा है यह इलाका कालिम्पोंग : बारिश के समय तो भूस्खलन की खबरें सुनने को मिलती हैं, परंतु गुरुवार को तपते धूप में भूस्खलन के कारण राजमार्ग पर आवागमन तीन घटे तक बाधित रहा. सेतिझोड़ा में प्रतिदिन पहाड़ों से मलबा लगातार गिरता रहता […]

2015 में भी सेतिझोड़ा में हुआ था भूस्खलन

तब से लगातार प्रभावित रहा है यह इलाका

कालिम्पोंग : बारिश के समय तो भूस्खलन की खबरें सुनने को मिलती हैं, परंतु गुरुवार को तपते धूप में भूस्खलन के कारण राजमार्ग पर आवागमन तीन घटे तक बाधित रहा. सेतिझोड़ा में प्रतिदिन पहाड़ों से मलबा लगातार गिरता रहता था.

गुरुवार की शाम को चार बजे के बाद पहाड़ के ऊपर एक पेड़ गिरा. जिससे पहाड़ से काफी मात्रा में पत्थर एवं मिट्टी राजमार्ग पर गिरा. मलवा गिरने के कारण यातायात अवरूद्ध हो गया, जिससे दोनों ओर लंबा जाम लग गया. पहाड़ से मलवा लगातार गिर रहा था. मालवा सड़क पर आने के बाद पीडब्लूडी विभाग ने जेसीबी मशीन की मदद से मलावा को हटाने में लगा रहा. काफी देर के बाद आधा साफ कर ट्रैफिक को एक तरफ़ा के लिए सात बजे खोला गया.

विभाग के कार्यकारी अभियंता उत्तम प्रधान ने कहा कि सेतिझोड़ा में लगातार रूप से पत्थर गिरते रहता है. सुबह भी सड़क पर पत्थर एवं मिट्टी गिरा था. परंतु वो कम मात्रा में था. शाम चार बजे पहाड़ों से एक पेड़ उखड़ कर गिर पड़ा.

जिससे एकाएक मलबा सड़क में गिरता रहा. मालवा करीब 30 फुट ऊंचा था. जिसको आधा साफ़ करने के लिए 3 घंटा समय लग गया. उन्होंने कहा कि रात हो जाने के कारण सफाई कार्य को फिलहाल रोक दिया गया है.

दरअसल राजमार्ग में 2015 में सेतिझोड़ा में पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा गिर पड़ा था. जिसके कारण राजमार्ग चार दिनों तक बंद रहा था. उस दौरान ग्रेफ ने सफाई किया था. उसके बाद से सेतिझोड़ा लगातार भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र बना हुआ है. राजमार्ग के सेतिझोड़ा के साथ ही 27 माइल, 29 माइल लिखूवीर, भोटेभीर में भी हमेशा भूस्खलन का खतरा मंडराता रहता है.

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