संवाददाता, कोलकाता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग द्वारा कोलकाता पुलिस सहित अन्य अधिकारियों को पत्र दिये जाने पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि आखिर ब्लॉक लेबल ऑफिसर (बीएलओ) को अपनी शिकायतें रखने के लिए उनके दफ्तर के बाहर घंटों इंतजार क्यों कराया गया. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बंगाल ही नहीं, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी बीएलओ काम के दबाव में दम तोड़ रहे हैं. मुझे लगता है कि इन अधिकारियों की मांगें जायज और वैध हैं. सीईओ से मिलने के लिए उन्हें 48 घंटे क्यों बैठना पड़ा? क्या उनके समय की कोई कीमत नहीं है? सुश्री बनर्जी ने कहा कि बीएलओ को सर्वर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण वे समय पर मतदाताओं के आंकड़े अपलोड नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने एसआइआर प्रक्रिया को वर्तमान दो महीने की समय-सीमा के बजाय तीन वर्ष की अवधि के लिए योजनाबद्ध करने की आवश्यकता दोहरायी. उन्होंने सवाल उठाया कि दो दिन बाहर इंतजार करने के बाद, उन्होंने पहले एक प्रतिनिधि को अंदर बुलाया. पुलिस के अनुरोध पर, उन्होंने बाद में दो और प्रतिनिधियों को बुलाया. अहंकार का यह प्रदर्शन क्यों? लोगों को अपनी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है या नहीं?
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