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दुखद घटनाओं की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की घोषणा के बाद आत्महत्या की घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला है.

कहा – हम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने देंगे- न सामने के दरवाजे से, न पीछे के दरवाजे से

संवाददाता, कोलकाता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की घोषणा के बाद आत्महत्या की घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भाजपा के भय, विभाजन और नफरत की राजनीति का नतीजा है कि 72 घंटे के भीतर राज्य में एक के बाद एक तीन दर्दनाक घटनाएं सामने आयीं हैं. सीएम ने ‘एक्स’ पर लिखा कि भाजपा के दबाव में चुनाव आयोग द्वारा राज्य में एसआइआर प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा के 72 घंटे के भीतर बंगाल में तीन भयावह घटनाएं हुई हैं. तीन लोगों ने आत्महत्या करने की कोशिश की, जिसमें दो की मौत हो गयी और एक व्यक्ति की हालत गंभीर है. यह न केवल त्रासदी है, बल्कि मानवता के साथ विश्वासघात है.

उन्होंने बताया कि 27 अक्तूबर को खड़दह के पानीहाटी निवासी 57 वर्षीय प्रदीप कर ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली. अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि एनआरसी मेरी मौत के लिए जिम्मेदार है. अगले दिन यानी 28 अक्तूबर को कूचबिहार जिले के दिनहाटा के एक 63 वर्षीय व्यक्ति ने आत्महत्या का प्रयास किया. वह एसआइआर प्रक्रिया के तहत उत्पीड़न के डर से भयभीत था.

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दुखद घटनाओं…

वहीं, 29 अक्तूबर को पश्चिम मेदिनीपुर के कोतवाली के 95 वर्षीय क्षितिज मजूमदार, जो अपनी बेटी के साथ इलमबाजार (बीरभूम) में रह रहे थे, ने भय के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली कि कहीं उनकी जमीन उनसे छिन न जाये.

मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि इन राजनीतिक रूप से थोपे गये हादसों की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या गृह मंत्री इसका जवाब देंगे? क्या भाजपा और उसके सहयोगी, जिनकी निगरानी में यह भय का माहौल फैला है, वह सामने आकर इन घटनाओं की जिम्मेदारी लेंगे? उन्होंने कहा कि एक 95 वर्षीय व्यक्ति, जिसने अपना पूरा जीवन इस मिट्टी को समर्पित कर दिया, उसे यह साबित करने के लिए मरना पड़ा कि वह इसी भूमि का हिस्सा है. इससे बड़ा राष्ट्रीय अपमान क्या हो सकता है? सुश्री बनर्जी ने कहा कि बंगाल के लोगों ने हमेशा सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जिया है. लेकिन आज उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया जा रहा है कि क्या वे अब भी अपने जन्मभूमि से जुड़े हैं. यह क्रूरता असहनीय है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

मुख्यमंत्री ने राज्यवासियों से कहा कि कृपया उकसावे में न आयें, विश्वास न खोयें और कोई भी अप्रिय कदम न उठायें. हमारी ‘मां-माटी-मानुष’ सरकार आपके साथ है. हम बंगाल में किसी भी रूप में एनआरसी लागू नहीं होने देंगे – न सामने के दरवाजे से, न पीछे के दरवाजे से. उन्होंने कहा कि हम किसी वैध नागरिक को ‘बाहरी’ करार नहीं दिये जाने देंगे. अंतिम सांस तक हम लोगों के अधिकारों की रक्षा करेंगे और भाजपा व उसके सहयोगियों की उस नापाक साजिश को नाकाम करेंगे, जो देश के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का काम कर रही है.

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