कहा : अगर इस सप्ताह के अंदर राज्य सरकार ने निर्णय नहीं लिया तो अगले हफ्ते विकास भवन के सामने होगा विरोध प्रदर्शन
विपक्ष के नेता ने राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए सौंपा ज्ञापनसंवाददाता, कोलकातापश्चिम बंगाल में उच्च माध्यमिक परीक्षा के परिणाम आये तीन महीने हो गये हैं, पर राज्य सरकार अब तक सरकारी कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं कर पायी है. इससे राज्य के पांच लाख उच्च माध्यमिक परीक्षार्थियों का भविष्य अंधकार में लटका हुआ है. पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबीजेइइ) होने के चार महीने बाद भी इसका रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को इस मुद्दे पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस को ज्ञापन सौंपा और मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की.अधिकारी के साथ 15 भाजपा विधायकों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा था. शुभेंदु अधिकारी ने इसके खिलाफ आंदोलन की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि अगर इस सप्ताह के अंदर इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वह अगले हफ्ते भाजपा विधायकों, कार्यकर्ताओं, छात्रों, उनके अभिभावकों, शिक्षाविदों और आम नागरिकों के साथ शिक्षा विभाग के कार्यालय विकास भवन के सामने एक दिवसीय धरने पर बैठेंगे.बताया गया है कि राज्यपाल ने कॉलेज प्रवेश से जुड़ी जटिलताओं पर भाजपा विधायकों से आधे घंटे से ज्यादा समय तक चर्चा की. बाद में, उन्होंने विधायकों को आश्वासन दिया कि वह इस मामले पर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से बात करेंगे.
राज्यपाल से मुलाकात के बाद राजभवन के गेट पर संवाददाताओं से बातचीत में शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्य का उच्च शिक्षा विभाग जो कर रहा है, वह आजादी के बाद से अब तक राज्य में कभी नहीं हुआ. अब तक देश में किसी भी राज्य में ऐसी शैक्षिक आपदा नहीं देखी गयी. उच्च माध्यमिक परीक्षा के नतीजे प्रकाशित होने के तीन महीने बाद भी सरकारी कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है.राज्यपाल ने विपक्ष के नेता को सौंपी दो रिपोर्ट
विपक्ष के नेता ने कहा कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुलाकात के दौरान उन्हें दो रिपोर्ट सौंपी है. एक रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया गया है, जिनकी पहल से बांग्ला भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया. जबकि, दूसरी रिपोर्ट हरियाणा सरकार की ओर से पेश की गयी है. शुभेंदु अधिकारी ने उक्त रिपोर्ट के बारे में बताया कि इस रिपोर्ट में बंगाल के प्रवासी मजदूरों का जिक्र है. बताया गया है कि हरियाणा पुलिस ने कुल 1,000 बांग्ला भाषी प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लिया था. इनमें से 915 बांग्लादेशी नागरिक थे, जबकि बंगाल के सिर्फ 85 प्रवासी मजदूर वहां काम कर रहे थे. हरियाणा पुलिस ने 85 नागरिकों को छोड़ दिया है और वह पुन: अपने काम पर लग गये हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

