कोलकाता
. तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि उसने 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की मदद के लिए एसआइआर प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से लाखों वैध मतदाताओं के नाम हटाये हैं. तृणमूल के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीईओ मनोज अग्रवाल से उनके कार्यालय में मुलाकात की और अपनी शिकायतों को सूचीबद्ध करते हुए एक ज्ञापन सौंपा. इस प्रतिनिधिमंडल में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, शशि पांजा, अरूप विश्वास, मानस भुइयां और मलय घटक शामिल थे. ज्ञापन में कहा गया है कि कानून के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन का अंतिम और वैधानिक अधिकार केवल निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी यानी ईआरओ के पास है. इसके बावजूद बिना किसी नोटिस, सुनवाई या स्थानीय स्तर पर सत्यापन के मतदाताओं के नाम हटाये जा रहे हैं, जो पूरी तरह से गैरकानूनी है. तृणमूल नेताओं ने आशंका जतायी है कि बाहरी एजेंसी की भागीदारी से चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता, डेटा की गोपनीयता और जनता के भरोसे को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा : हम अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल में विभिन्न नियमों और तौर-तरीकों को लागू होते देख रहे हैं. अनुपस्थित, स्थानांतरित और नाम में दोहराव वाले मतदाताओं की जांच के नाम पर चुनाव आयोग ने लगभग 58 लाख वास्तविक मतदाताओं को ‘अनमैप्ड’ बताकर हटाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई भाजपा को बार-बार खारिज करने वाले राज्य के लोगों को दंडित करने के लिए मतदाता सूची से दो करोड़ मतदाताओं के नाम हटाने की बड़ी साजिश का हिस्सा लगती है. वहीं, अरूप विश्वास ने आरोप लगाया कि आयोग द्वारा पेश किया गया मोबाइल ऐप्लिकेशन ‘अनमैप्ड’ मतदाताओं को फॉर्म छह और सात के अनुलग्नकों के माध्यम से अपेक्षित विवरण जमा करने की अनुमति नहीं देता है, जिससे वे अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि जब हमने इस बारे में बताया, तो सीईओ ने कहा कि वह शिकायत दिल्ली भेज रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

