केंद्र के पास बकाये पर तृणमूल ने कहा ः केंद्र का रवैया गैरकानूनी व अमानवीय
कोलकाता/नयी दिल्ली. पश्चिम बंगाल के कथित लंबित बकाये को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने शुक्रवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. सांसदों का आरोप है कि केंद्र सरकार राजनीतिक कारणों से राज्य की वैध धनराशि रोक रही है और पूरे राज्य को आर्थिक दंड दिया जा रहा है.
सांसद हाथों में तख्तियां लिए नारे लगा रहे थे और मांग कर रहे थे कि राज्य को बकाया राशि तुरंत जारी की जाये. पार्टी नेताओं ने दावा किया कि मनरेगा योजना के तहत केंद्र पर पश्चिम बंगाल का करीब 52 हजार करोड़ रुपये बकाया है. राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव ने कहा कि केंद्र सरकार बंगाल में चुनाव नहीं जीत पाती, इसलिए राज्य को लगातार वंचित किया जा रहा है. उनके अनुसार, मनरेगा कानून संसद द्वारा दिया गया अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार अब तक 52 हजार करोड़ रुपये जारी नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सभी कागजी कार्य पूरे किए जा चुके हैं, फिर भी केंद्र धनराशि रोककर अन्याय कर रहा है. देव ने आरोप लगाया कि यह गैरकानूनी और अमानवीय है तथा बंगाल के साथ भेदभाव किया जा रहा है. तृणमूल सांसदों ने बुधवार और गुरुवार को भी इसी मुद्दे पर संसद परिसर में विरोध दर्ज कराया था.
शुक्रवार को तृणमूल ने सोशल मीडिया पर अपने आधिकारिक मंच से आरोप लगाया कि केंद्र पर राज्य का लगभग दो लाख करोड़ रुपये बकाया है. पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा मजदूरी, आवास योजना, जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं की धनराशि भी रोककर राज्य को आर्थिक रूप से कमजोर बना रही है.
पार्टी ने कहा कि बंगाल को दबाने की कोशिश अब सड़क से लेकर संसद के भीतर तक कड़ी चुनौती का सामना करेगी. इस बीच, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा कि मनरेगा योजना के तहत पश्चिम बंगाल को धन जारी करना नौ मार्च, 2022 से रोक दिया गया था. मंत्री के अनुसार, यह कार्रवाई कानून की धारा 27 के तहत राज्य द्वारा केंद्र के निर्देशों का पालन न करने के कारण की गयी. उन्होंने बताया कि 8 मार्च, 2022 तक राज्य पर कुल 3082.52 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया थी, जिसमें मजदूरी मद के 1457.22 करोड़ रुपये, सामग्री मद के 1607.68 करोड़ रुपये और प्रशासनिक मद के 17.62 करोड़ रुपये शामिल हैं.
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