कोलकाता.
उच्चतम न्यायालय के तीन अप्रैल के आदेश के बाद अपनी नौकरी गंवा चुके 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों में से 400 से अधिक लोगों ने योग्य सूची में नाम नहीं आने पर सोमवार को दक्षिण कोलकाता में हाजरा क्रॉसिंग को अवरुद्ध कर दिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की मांग की. व्यस्त आशुतोष मुखर्जी रोड और हाजरा रोड क्रॉसिंग पर लगभग एक घंटे तक यातायात ठप रहा. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि उन्हें फिर से बहाल किया जाये या कम से कम 31 दिसंबर तक काम करने की अनुमति दी जाये, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कुछ शिक्षकों को अस्थायी तौर पर काम करने की अनुमति दी है. जब पुलिस ने उन्हें लगभग एक किलोमीटर दूर कालीघाट क्षेत्र में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई और वे सड़क के बीच में बैठ गये. उनमें से कुछ को पुलिस ने हिरासत में लिया तो कुछ को सड़क के किनारे जाने के लिए राजी किया गया.एक प्रदर्शनकारी महिला ने सड़क के बीच में लेटकर विरोध जताया और एक पुलिस अधिकारी के अनुरोध के बावजूद नहीं हटी. नाम न बताने की शर्त पर एक शिक्षक ने कहा, “2016 से पहले एसएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद हमें सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ रहा है. एसएससी भवन के सामने भी अपनी मांगों को लेकर विरोध करते रहे हैं. सोमवार सुबह मुख्यमंत्री के आवास जाने के लिए जब उनका जुलूस बढ़ा तो जतीन दास पार्क के पास हाजरा मोड़ पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया. बैरिकेड तोड़ कर सभी आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे. हाजरा मोड़ पर इसे लेकर तनाव की स्थिति बन गयी. महिला व पुरुष पुलिस की गाड़ी के सामने बैठ गये. झड़प में दो लोग बीमार भी पड़ गये. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे लोग अयोग्य भी नहीं हैं, किसी भी भ्रष्टाचार से भी नहीं जुड़े हैं. अयोग्य बता कर उनका वेतन कैसे बंद कर दिया गया. योग्य की सूची में नाम शामिल करने की मांग उन्होंने की. प्रदर्शन कर रही एक शिक्षिका शताब्दी सरकार ने बताया कि जांच कर रही सीबीआइ ने भी अब तक यह साबित नहीं किया है कि वे लोग अयोग्य हैं. फिर स्कूल सेवा आयोग ने किस आधार पर उन्हें सड़क पर छोड़ दिया है.
एक अन्य बर्खास्त शिक्षक ने कहा कि ओएमआर शीट में गड़बड़ी का मामला अब तक प्रमाणित नहीं हुआ है. फिर उन्हें कैसे कोई अयोग्य कह सकता है. ऐसे शिक्षकों की संख्या पांच हजार से अधिक है. उनके लिए भी स्कूल जाने की व्यवस्था की जाये. समस्या के समाधान को लेकर उन्हें अब भी उम्मीद है.प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि शिक्षा विभाग कोई कदम नहीं उठा रहा है. इसलिए वे मुख्यमंत्री के पास जाना चाह रही हैं. उन्होंने कहा कि अब वे लोग जिंदा लाश की तरह हैं. उन्हें गोली मार दें, वे जीना नहीं चाहतीं हैं.
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