हावड़ा. उलुबेड़िया में स्कूल से लौटते समय हुए दर्दनाक कारपूल हादसे में तीन मासूमों की जान चली गयी और दो बच्चों को यह हादसा ऐसा सदमा दे गया, जिसे वे शायद ही जीवनभर न भूल पाएंगे. मदर मेरिना मिशन स्कूल के पांच छात्र घर लौट रहे थे कि अचानक कार चालक का स्टीयरिंग पर नियंत्रण खो गया और तेज रफ्तार कार सीधे तालाब में जा गिरी. सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि कार पानी में गिरते ही चालक ने बच्चों को तड़पता छोड़ते हुए खुद दरवाजा खोलकर बाहर छलांग लगा दी और तैरकर भाग निकला. अंदर से बच्चों की मदद के लिए चीखें गूंज रही थीं, पानी लगातार कार को निगल रहा था. पानी के तेज बहाव से प्रियम बाग पीछे की सीट पर जा गिरा, घायल होने के बावजूद उसने शीशा तोड़कर किसी तरह कार से बाहर निकलने और तैरकर किनारे पहुंचने में कामयाबी पायी. उसके साथ बैठे अर्घ्य मंडल ने भी आगे की तरफ से शीशा तोड़कर सांसों की लड़ाई जीत ली, लेकिन पीछे बैठे तीन नन्हें फरिश्ते— जिनमें नर्सरी का छह वर्षीय अरिन दे भी शामिल था, पानी के शिकंजे से खुद को नहीं बचा सके और कार के अंदर ही उसकी सांसें थम गयीं. हादसा देखकर पास मौजूद छोटी बच्ची अर्शिता दौड़कर मदद लायी, पर इलाका सुनसान होने के कारण लोगों के पहुंचने में देर हो गयी और कोई गोताखोर भी वहां समय पर नहीं पहुंच सके. रस्सियों और बांस की मदद से जब कार को बाहर निकाला गया तब तक तीनों मासूमों के निर्जीव शरीर ही बचाये जा सके. अस्पताल ले जाते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने चालक श्रीमंत पाल को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है, लेकिन सवाल अभी भी वहीं हैं— क्या यह सिर्फ एक दुर्घटना थी या फिर स्कूल वाहनों की लापरवाही की वजह से मासूमों की हत्या? यह हादसा नहीं, चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा और कब तक?
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