अपील पर जल्द सुनवाई का निर्देश कोलकाता. हत्या के जुर्म में 13 साल जेल में बिताने के बाद एक कैदी को कलकत्ता हाइकोर्ट से जमानत मिल गयी. अदालत ने जयप्रकाश मिश्रा नामक कैदी की जमानत मंजूर कर ली. हालांकि फैसले की सर्टिफाइड कॉपी मिलने के बाद ही वृद्ध हो चुके कैदी को प्रेसिडेंसी संशोधनागार से रिहा किया जायेगा. जमानत मंजूर करते हुए न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी और न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा रॉय की खंडपीठ ने लगभग 48 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के मशहूर कश्मीरा सिंह केस के फैसले का जिक्र किया. फैसले में शीर्ष अदालत ने साफ तौर पर कहा था कि ट्रायल की लंबी प्रक्रिया के कारण किसी को भी अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता. अगर उसे जेल में रखा जाता है, तो यह ट्रायल के नाम पर तमाशा होगा. इस केस में जयप्रकाश को 2012 में हत्या की घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. जब उसे 2021 की शुरुआत में सेशन कोर्ट में हत्या और आर्म्स एक्ट की धारा के तहत दोषी पाया गया, तो वह पहले ही आठ साल जेल में काट चुका था. उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद उसे लगभग पांच साल और जेल में रहना पड़ा है. कैदी ने अप्रैल 2021 में सजा को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट में अपील की, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई थी. जयप्रकाश की ओर से हाइकोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी द्वारा नियुक्त वकील त्रिना मित्रा ने खंडपीठ का ध्यान खींचा कि यह देरी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अवधारणा को ही नुकसान पहुंचा रही है. खंडपीठ ने इस दलील को स्वीकार करते हुए दो जमानतदारों और 10 हजार रुपये के बॉन्ड के साथ जमानत दे दी. हाइकोर्ट ने अपील मामले की जल्द सुनवाई करने का भी निर्देश दिया. वकील ने कहा कि उत्तर कोलकाता के चितपुर इलाके में किरायेदार व मकान मालिक के झगड़े में एक शख्स की मौत हो गयी थी. घटना के बाद से लगातार जेल में बंद आरोपी अब इस उम्र में अपने परिवार के पास लौट पा रहा है.
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