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एसआइआर को लेकर डर फैला रहे राजनीतिक दल

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पश्चिम बंगाल, केरल व तमिलनाडु में एसआइआर प्रक्रिया के खिलाफ दायर किये गये मामलों की सुनवाई हुई.

संवाददाता, कोलकाता

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पश्चिम बंगाल, केरल व तमिलनाडु में एसआइआर प्रक्रिया के खिलाफ दायर किये गये मामलों की सुनवाई हुई. अलग-अलग राज्यों की याचिका की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि बिना चुनाव आयोग की दलील सुने, वो कोई आदेश नहीं दे सकता है. बुधवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत से कहा कि राजनीतिक दल एसआइआर को लेकर अनावश्यक डर फैला रहे हैं. आयोग के अधिवक्ता ने बुधवार को सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि बंगाल में एसआइआर का काम कर रहे बूथ लेवल ऑफिसर या बीएलओ को राजनीतिक नेता डरा रहे हैं. आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक हलफनामा भी जमा किया. सुनवाई के दौरान, आयोग के वकील ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में लगातार राजनीतिक दबाव में काम करते हुए कई बीएलओ की मौत हो गयी है. उनका दावा है कि एसआइआर प्रक्रिया पर राज्य प्रशासन की दखलअंदाजी और डराने-धमकाने से काम का माहौल खतरनाक हो गया है.

दूसरी ओर, राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने इस आरोप का खंडन किया है. उनका कहना है कि फील्ड लेवल के वर्कर 2-3 साल का काम सिर्फ़ दो महीने में पूरा करने के प्रेशर से थक रहे हैं. कई मामलों में सुसाइड, और कुछ मामलों में दिल की बीमारी से अचानक मौतें – ये सब बहुत ज़्यादा प्रेशर का नतीजा हैं. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश सूर्य कांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच ने केरल में एसआइआर के खिलाफ दाखिल याचिका पर चुनाव आयोग से एक दिसंबर तक जवाब मांगा है. कोर्ट ने इसके अलावा आयोग से अलग से स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी.

वहीं, पश्चिम बंगाल में एसआइआर के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से एक दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मामले की सुनवाई के लिए नौ दिसंबर का दिन तय किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि बिना आयोग को सुने हम रोक लगाने की मांग पर कोई आदेश नहीं देंगे.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि एसआइआर बहुत जल्दबाजी में किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीएलओ पर दबाव है और कई बीएलओ आत्महत्या कर रहे हैं और इसके बारे में खबरें आ रही हैं. पश्चिम बंगाल की तरफ से वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भी कई बीएलओ की मौत हो चुकी है. इस संबंध में शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.

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