चंदननगर है क्रांतिकारी तीर्थ, विस्मृत नायकों की स्मृतियों को संरक्षित करना जरूरी : संजीव सान्याल हुगली. स्वतंत्रता संग्राम में चंदननगर की ऐतिहासिक भूमिका को फिर से जीवित करने और विस्मृत नायकों की स्मृतियों को सहेजने की पहल तेज हो गयी है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल शुक्रवार को चंदननगर स्थित रास बिहारी बोस रिसर्च इंस्टीट्यूट पहुंचे. इस दौरान उन्होंने इतिहास अनुसंधान से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए कहा कि छोटे-छोटे प्रयासों को एक साझा मंच पर लाना आज की जरूरत है. उन्होंने बताया कि चंदननगर और क्रांतिकारी आंदोलन का गहरा रिश्ता रहा है. उपनिवेशकालीन फारसडांगा क्षेत्र कभी ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों का केंद्र था. यहीं से अनुशीलन समिति जैसी कई गुप्त संस्थाएं संचालित हुईं. रास बिहारी बोस, कानाइलाल दत्त और माखनलाल घोषाल जैसे क्रांतिकारी इसी धरती से जुड़े रहे. सान्याल ने कहा, “धन की कोई कमी नहीं, बस सदिच्छा और सामूहिक प्रयास जरूरी है. मेरे परिवार के कई सदस्य भी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे हैं.” इंस्टीट्यूट के संस्थापक कल्याण चक्रवर्ती ने बताया कि इस वर्ष सरकार ‘लीगेसी ऑफ रास बिहारी बोस’ कार्यक्रम के माध्यम से उनके जीवन और कार्यों को देश-दुनिया के सामने लाने जा रही है. सान्याल ने प्रवर्तक आश्रम और ऋषि अरविंद मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों का भी दौरा किया. भाजपा नेता सायंतन बोस ने कहा कि चंदननगर में अनगिनत इतिहास समाये हुए हैं, जिन्हें संरक्षित करना आवश्यक है. संजीव सान्याल ने चंदननगर को ‘क्रांतिकारी तीर्थ’ बताते हुए आश्वासन दिया कि इस गौरवशाली इतिहास को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास होगा.
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