विवाद के कारण जेइइ सहित कई परीक्षाओं के परिणाम अटके
राज्य सरकार ने हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
कोलकाता. पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबीजेइइ) के परिणाम की घोषणा पिछले सप्ताह होनी थी. लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण सूची को लेकर पैदा हुए विवाद के चलते परीक्षा परिणाम का प्रकाशन टाल दिया गया. कलकत्ता हाइकोर्ट ने पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि नयी ओबीसी सूची के आधार पर मेधा तालिका जारी नहीं की जा सकेगी. हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. गुरुवार को राज्य सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यानाकर्षण किया, हालांकि इस पर सुनवाई नहीं हुई. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि ओबीसी आरक्षण सूची के विवाद के कारण डब्ल्यूबीजेइइ सहित कई परीक्षाओं के परिणाम अटके हुए हैं. कहा गया है कि ओबीसी विवाद का असर सिर्फ डब्ल्यूबीजेइइ तक सीमित नहीं है. बल्कि इससे बीफर्मा, बीआर्क, नर्सिंग, पैरामेडिकल, लेटरल एंट्री टेस्ट, प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की अंडर-ग्रेजुएट व पोस्ट-ग्रेजुएट एंट्रेंस समेत कुल 10 परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं. इसलिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की तत्काल सुनवाई का आग्रह करते हुए याचिका दायर की है, जिस पर अब सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामले की सुनवाई को एक महीने के लिए टाल दिया है और इस पर सुनवाई के लिए नौ सितंबर दिन तय किया है. लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि इससे राज्य में परीक्षाओं के रिजल्ट व शिक्षण संस्थानों में भर्तियां रूकी हुई हैं. जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई सोमवार को मामले की सुनवाई कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

