संवाददाता, कोलकाता
राज्य सरकार ने स्वास्थ्य बीमा में अनियमितताओं को रोकने के लिए पहल की है. ऐसे में वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने सोमवार को 11 मेडिक्लेम कंपनियों के अधिकारियों के साथ अलीपुर के धनधान्य सभागार में बैठक की. कमीशन के चेयरमैन व पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी के नेतृत्व में यह बैठक हुई.
बैठक के बाद कमीशन के चेयरमैन असीम बनर्जी संवाददाताओं से मुखातिब हुए. उन्होंने बताया कि 11 बड़ी इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए थे. इनमें चार सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों के प्रतिनिधि भी थे. उन्होंने बताया कि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड निजी कारणों से इस बैठक में शामिल नहीं हुआ था. इसके अलावा एसबीआई इंश्योरेंस कंपनी को वे नहीं बुला सके थे. बाकी अन्य सभी बड़ी इंश्योरेंस कंपनियां इस बैठक में शामिल हुईं थीं.
कमीशन के चेयरमैन ने बताया कि अब तक डे केयर सर्जरी यानी छोटे ऑपरेशन के लिए मरीजों को मेडिक्लेम का लाभ नहीं मिलता था. ऐसे में कुछ अस्पताल, चिकित्सक को कह कर मरीज को भर्ती करवा देते थे. सर्जरी के बाद मरीज को अनावश्यक तरीके से एक दिन तक अस्पताल में रोक कर रखा जाता था. ताकि, स्वास्थ्य बीमा का लाभ लिया जा सके. इससे इंश्योरेंस कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि बीमा कंपनियों को अनावश्यक तौर पर इलाज खर्च का भुगतान करना पड़ता था. लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने डे केयर सर्जरी को भी मेडिकल क्लेम के अंतर्गत लाने की घोषणा की है. कुछ कंपनियों ने तो मरीज के लिए इसे लागू भी कर दिया है, जबकि अन्य बीमा कंपनियां जल्द ही इसे लागू करेंगी. इससे मरीज को एक दिन तक अस्पताल में नहीं रुकना पड़ेगा. वहीं खर्च भी कम होगा. इसे मरीज व बीमा कंपनी दोनों को लाभ मिलेगा. पैसों की भी बचत होगी. जिसका इस्तेमाल बाद में मरीज अपने इलाज पर कर सकेगा.
कमीशन के चेयरमैन असीम बनर्जी ने बताया कि सोमवार की इस बैठक के बाद जल्द ही निजी अस्पतालों के साथ भी इस तरह की बैठक आयोग करेगा. इसके बाद अस्पताल, इंश्योरेंस कंपनियों और आयोग की त्रिपक्षीय बैठक होगी. इस बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी.
बैठक में कमीशन के नेतृत्व में बीमा कपंनियों ने छह सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी इंश्योरेंस से संबंधित विभिन्न शिकायतों का समाधान भी करेगी. साथ ही आयोग ने कहा कि मरीज को अस्पताल से छुट्टी के दौरान टीपीए अप्रूवल के नाम पर घंटों इंतजार करना पड़ता है. लेकिन आयोग ने दो घंटे के भीतर टीपीए अप्रूवल करने का निर्देश बीमा कंपनियों को दिया है.
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