संवाददाता, कोलकाता.
देश में मेट्रो का इतिहास लिखने वाले कोलकाता में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की ग्रीन लाइन के जरिए अब हावड़ा और सियालदह महज नौ मिनट की दूरी पर आ गए हैं. लेकिन इस सफलता के बीच बऊबाजार के दुर्गा पिटुरी लेन के लोग अब भी दर्द और अनिश्चितता में जी रहे हैं. वर्ष 2019 में यहां मेट्रो निर्माण कार्य के दौरान हुए भूस्खलन में सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गये थे. कई परिवार आज भी बेघर हैं और मुआवजे की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
नगर निगम के शुक्रवार को आयोजित मासिक अधिवेशन में वार्ड 48 के पार्षद विश्वरूप दे ने इस आपदा का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हादसे को छह साल बीत गये, लेकिन सभी प्रभावितों को अब तक मकान नहीं मिला. जो लोग अब अपने पुराने इलाके में लौटे हैं, वे इस चिंता में हैं कि मेट्रो के संचालन से कहीं फिर कोई हादसा न हो जाए. उन्होंने मेयर से अनुरोध किया कि निगम एक मॉनिटरिंग सेल बनाये, जो निर्माणाधीन मकानों की गुणवत्ता की निगरानी करे और मेट्रो संचालन के बाद इलाके में किसी नयी दरार की स्थिति पर नजर रखे. मेयर फिरहाद हकीम ने जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर निगम ने केएमआरसीएल अधिकारियों से बैठक की थी. निगम के बिल्डिंग कानून के अनुसार मकान निर्माण का प्रस्ताव सौंपा गया था. इसके तहत 23 बिल्डिंग प्लान निगम को दिये गये और 27 सितंबर 2024 को मेयर-इन-काउंसिल की बैठक में इन्हें मंजूरी मिल गयी. मेयर ने कहा कि केएमआरसीएल को मकान बनाने के बाद 10 वर्षों तक रखरखाव की गारंटी देनी होगी.
निर्माण कार्य जादवपुर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की देखरेख में किया जायेगा. प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द मकान सौंपना आवश्यक है. उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल केएमआरसीएल की ओर से गारंटी पर कोई आश्वासन नहीं मिला है. शुक्रवार शाम मेयर स्वयं दुर्गा पिटुरी लेन पहुंचे और प्रभावित परिवारों से बातचीत की. इसी दौरान स्थानीय लोगों ने धरना भी दिया और शीघ्र पुनर्वास की मांग उठायी.
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