संवाददाता, कोलकाता
विद्यासागर विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि पर्यटन मानचित्र पर भी अपनी पहचान बनाने जा रहा है. महान समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर के जीवन और उनके कार्यों को नयी पीढ़ी के सामने लाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में विद्यासागर संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है. उम्मीद है कि यह पहल शोधकर्ताओं से लेकर आम दर्शकों तक सभी के लिए आकर्षक साबित होगी.
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति शिवाजी प्रतीम बसु और मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सुमहान बनर्जी सहित कई शिक्षाविदों को संग्रहालय निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इसके अलावा विद्यासागर स्मृति रक्षा समिति को भी इस परियोजना से जोड़ा जा रहा है. विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति दीपक कुमार कर ने बताया कि पूर्व कुलपतियों के सम्मान में उनके घरों में यह संग्रहालय बनाया जायेगा.
विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार विद्यासागर के जीवन और दर्शन को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया जायेगा. महत्वपूर्ण घटनाओं को मॉडलों और पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिखाया जायेगा. विद्यासागर के लेखन और कृतियों का एक संग्रह बनाया जायेगा. उनके सभी लेखन, दस्तावेजों, पत्रों और दुर्लभ तस्वीरों को एक जगह एकत्रित करने का प्रयास किया जायेगा. यदि सभी दस्तावेज प्राप्त करना संभव न हो, तो उन्हें वीडियो या दस्तावेजीकरण के रूप में रखा जायेगा. प्रो सुमहान बनर्जी ने कहा कि इस संग्रहालय में आने वाला कोई भी व्यक्ति विद्यासागर के जन्म से लेकर उनके जीवन, सामाजिक सुधारों, बाल विवाह की रोकथाम से लेकर विधवा विवाह की प्रथा तक, सब कुछ जान सकेगा. उनके द्वारा कार्य किये गये स्थानों, जैसे बीर सिंह, कोलकाता या करमाटांड का इतिहास भी यहां मॉडलों और चित्रों के माध्यम से दर्शाया जायेगा. वर्तमान में संग्रहालय के निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं.
विश्वविद्यालय के अधिकारियों को उम्मीद है कि यह संग्रहालय न केवल विद्यासागर के जीवन और कृतित्व को एक नये रूप में प्रस्तुत करेगा, बल्कि विद्यासागर विश्वविद्यालय को देश-विदेश के शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए विशेष रूप से परिचित भी करायेगा.
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