कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बाघ के हमले के बाद लापता हुए व्यक्ति के परिजनों को भी मुआवजा मिलेगा. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि बाघ के हमले में किसी व्यक्ति का शव नहीं मिलता है, तो प्रत्यक्षदर्शी के बयान के आधार पर पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए. यह फैसला 11 अक्टूबर 2015 की एक घटना से संबंधित है, जब गोसाबा के निवासी अनाथ बंधु कायल सुंदरवन में मछली और केकड़ा पकड़ने गये थे. उनके साथ मौजूद मछुआरों के अनुसार, एक बाघ ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें जंगल में घसीट ले गया. काफी खोज के बावजूद उनका शव नहीं मिला. स्थानीय पंचायत और पुलिस को सूचित करने के बाद भी जब कोई मदद नहीं मिली, तो मृतक की पत्नी अनीता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कहा कि मुआवजा तभी दिया जायेगा, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण बाघ का हमला बताया जायेगा. इस पर न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि चूंकि प्रत्यक्षदर्शियों ने बाघ के हमले को देखा है और बताया है कि बाघ अनाथ बंधु को जंगल में ले गया था, इसलिए शव बरामद करना और पोस्टमार्टम करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रत्यक्षदर्शियों का बयान ही बाघ के हमले से मौत का एकमात्र प्रमाण है. इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को मृतक अनाथ बंधु कायल की पत्नी अनीता को मुआवजा देने का आदेश दिया.
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