कोलकाता. मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं के नाम हटाने के लिए पूरे राज्य में एसआइआर प्रकिया अब अपने अंतिम चरण में है. 11 दिसंबर तक गणना फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख है. इसी क्रम में पिछले दिनों आयोग की ओर से बताया गया था कि राज्य में 2208 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां एक भी मृत, फर्जी और स्थान बदलने वाले मतदाता नहीं मिले हैं. इस पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे. जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गयी थी. इसके 24 घंटे बाद ही आकंड़े बदल गये. बताया गया कि राज्य में 480 बूथों पर ही मृत, फर्जी और स्थान बदलने वाले मतदाता मिले हैं. ऐसे में चुनाव आयोग ने गणना फॉर्म पर दी गयी जानकारी का सत्यापन करने के लिए सात दिशा-निर्देश जारी किया है. सीईओ कार्यालय से सभी डीईओ को इस संबंध में निर्देश भेजे गये हैं कि आखिर किस तरीके से गणना फॉर्म में दी गयी जानकारी का सत्यापन किया जाये. एसआइआर नियम के तहत जिन लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में है, या उनके माता-पिता या दादा-दादी का नाम है, उन्हें कोई और कागजात देने की जरूरत नहीं है. बताया जा रहा है कि इसी नियम का फायदा फर्जी मतदाता उठा रहे हैं. राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में खासकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में फर्जी मतदाताओं ने वंश मिलान कर एसआइआर फॉर्म जमा कर दिया है. आयोग ने जिला अधिकारियों से ऐसे फॉर्म पर विशेष निगरानी का निर्देश देते हुए सात दिशा-निर्देश जारी किया है.
सीईओ कार्यालय की ओर से जारी सात दिशा-निर्देश
जिन मतदाताओं ने गणना फॉर्म में 2002 की वोटर लिस्ट में अपना नाम बताया है, उस समय उनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक थी या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए.
जिन मतदाता के माता-पिता या दादा-दादी का नाम 2002 की सूची में था और 2025 में उनकी उम्र 50 साल या उससे ज्यादा है, उन पर अधिक ध्यान देना होगा. अगर 2002 में उम्र 25 साल या उससे अधिक थी, तो भी उस समय संबंधित व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में क्यों नहीं था, यह बूथ लेवल ऑफिसर को पता करना होगा.
28 अक्तूबर, 2025 के बाद मतदाता सूची में शामिल लोगों के माता-पिता के नाम की जानकारी गणना फॉर्म में दी गयी जानकारी से मेल नहीं खाती है, तो जांच होगी.
मतदाता का 2002 की मतदाता सूची में बताये गये माता-पिता के बीच के उम्र का अंतर 45 साल से अधिक या 18 साल से कम है, तो इसकी भी जांच होगी.
मतदाता की अनुपस्थिति में अगर गणना फॉर्म में परिवार के किसी दूसरे सदस्य ने हस्ताक्षर किया है, तो बीएलओ को उस व्यक्ति के घर पर जाकर पूछना होगा कि क्या उस व्यक्ति का नाम दूसरी जगह है या नहीं.
जिन बूथों पर वंश का मिलान 50 फीसदी से अधिक देखा गया है, उस बूथ पर फिर से रिव्यू करने की जरूरत होगी.
2024 और 2021 के चुनावों में जिन बूथों को ”सेंसिटिव” बताया गया था, उन पर अधिक ध्यान देना होगा.
इसके अलावा अगर बीएलओ ऐप में गलत जानकारी दी गयी है, तो ईआरओ उसे ठीक करेंगे.
जिन बूथों पर मृत या स्थान बदलने वाले मतदाताओं की संख्या शून्य से 20 है, वहां फिर से जांच करनी होगी.
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