कोलकाता. फर्जी दवा स्वास्थ्य के लिए जानलेवा हैं, पर कुछ मुनाफाखोर व्यवसायी लोगों के स्वास्थ्य की अनदेखी करते हुए नकली दवाएं बाजार में भेज रहे हैं, पर फर्जी दवाओं को पकड़ने के लिए राज्य सरकार भी तत्परता के साथ कार्य कर रही है. यही वजह है कि राज्य में आये दिन नकली दवाओं की खेप पकड़ी जा रही है. ये बातें राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नारायण स्वरूप निगम ने कहीं. वह शुक्रवार को महानगर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे. जहां स्वास्थ्य सचिव ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार लगातार निगरानी कर रही है. उन्होंने बताया कि राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज सह अन्य स्तर के सरकारी अस्पतालों में बेडों की संख्या बढ़ायी गयी है. इसके साथ ही स्वास्थ्य साथी योजना के तहत मरीजों को निजी अस्पतालों में भी इलाज मिल रहा है. जिससे आम लोग लाभान्वित हो रहे हैं.हर व्यक्ति तक सरकारी स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की कोशिश
वहीं कार्यक्रम में स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जन-जन तक सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पहुंचाने की पहल पर सरकार कार्य कर रही है. राज्य के सरकारी स्वास्थ्य में व्यवस्था आमूलचूल सुधार किया गया है, ताकि हर व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का लाभ उठा सके. चंद्रिमा ने राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बीच सहयोग पर जोर दिया. उन्होंने राज्य में मेडिकल टूरिज्म में हुई बढ़ोतरी पर जोर दिया और कहा कि इसने विदेशी टूरिस्ट के आने के मामले में पश्चिम बंगाल को सभी भारतीय राज्यों में दूसरे स्थान पर लाने में अहम भूमिका निभायी है. साथ ही स्वास्थ्य साथी योजना के तहत राज्यभर के 2.5 करोड़ परिवारों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुरक्षा को उन्होंने जन-आधारित स्वास्थ्य ढांचे की रीढ़ बताया.20 दिनों में एक लाख लोग हुए लाभान्वित
श्री निगम ने बताया कि 20 दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोबाइल हेल्थ यूनिट का उद्घाटन की थीं. फिलहाल 110 यूनिट चल रही है. जल्द ही और 110 यूनिट को आरंभ किया जायेगा. उन्होंने बताया कि पिछले 20 दिन में एक लाख से अधिक लोग मोबाइल यूनिट के जरिए इलाज करा चुके हैं. वहीं प्रतिदिन राज्य में 105-110 कैंप किये जा रहे हैं. जिनमें औसतन प्रतिदिन 12 हजार लोग पहुंच रहे हैं. इन हेल्थ यूनिटों में ईसीजी, यूएसजी सह 35 तरह की जांच की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का दावा है इस मोबाइल यूनिट से मुख्य रुप से महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं. अब तक इस सेवा का 67-70 फीसदी महिलाएं लाभ उठा चुकी हैं.
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