पर्यावरणविदों ने कहा- नियमों को लागू कराने में पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विफल रहे
संवाददाता, कोलकाताकोलकाता और हावड़ा में सोमवार रात कालीपूजा व दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी के बाद मंगलवार को वायु गुणवत्ता ‘खराब’ रही. पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि काली पूजा पर पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) और पुलिस के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए रात आठ से 10 बजे के निर्धारित समय के बाद भी पटाखे फोड़े गये, जिसकी वजह से प्रदूषक तत्व हवा में रहे.डब्ल्यूबीपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार आधी रात के आसपास विक्टोरिया मेमोरियल में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 186 दर्ज किया गया जो मंगलवार अपराह्न दो बजे 253 (पीएम 2.5) पहुंच गया.
जादवपुर में मंगलवार को एक्यूआइ 207 और बालीगंज में 213 दर्ज किया गया जो सोमवार आधी रात के समय क्रमश: 159 और 134 था.पीसीबी अधिकारी ने कहा: एक्यूआइ बिगड़ने को सीधे तौर पर पटाखों के जलने से नहीं जोड़ा जा सकता, जो पिछले साल की तुलना में कम था. इसके अलावा, हरित आतिशबाजी का ज्यादा इस्तेमाल किया गया. इसके लिए मौसम को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें बारिश या दक्षिणी हवाओं के अभाव में गर्म और आर्द्र परिस्थितियों के बीच प्रदूषक हवा में रह गये.`पर्यावरणविद् सोमेंद्र मोहन घोष ने कहा कि शाम से ही उत्तर और दक्षिण कोलकाता व हावड़ा में तेज आवाज वाले पटाखों का धड़ल्ले से और लगातार इस्तेमाल हुआ. उन्होंने कहा : काशीपुर, सिंथी, जोड़ासांको, मानिकतला से लेकर कसबा, टॉलीगंज, रीजेंट पार्क, बेहला और जादवपुर तक, हर जगह तेज आवाज वाले पटाखे फोड़े गये. पुलिस और पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूपीसीबी) दोनों ही मूकदर्शक बने रहे और पटाखों की बिक्री व इस्तेमाल पर अंकुश लगाने में विफल रहे. पर्यावरणविदों के एक संगठन सबुज मंच के नबो दत्ता ने भी पुलिस और प्रदूषण निगरानी संस्था पर नियमों को लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया, जिससे बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों, बच्चों और पालतू जानवरों को ध्वनि व वायु प्रदूषण से परेशानी हुई.
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