कोलकाता.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को सनातन संस्कृति संसद द्वारा आयोजित गीता पाठ कार्यक्रम में अपनी अनुपस्थिति को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने इसमें हिस्सा इसलिए नहीं लिया, क्योंकि यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ा एक कार्यक्रम था. रविवार को यहां ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुए इस कार्यक्रम में राज्य भर से लाखों लोग जुटे थे. इसे 2026 विधानसभा चुनावों से पहले हिंदू पहचान के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा था. उत्तर बंगाल के आधिकारिक दौरे पर निकलने से पहले, ममता बनर्जी ने कोलकाता हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा : अगर यह एक निष्पक्ष कार्यक्रम होता, तो मैं निश्चित रूप से वहां जाती. मैं एक पार्टी से जुड़ी हूं और एक विचारधारा का अनुसरण करती हूं. मैं सभी धर्मों, जातियों और पंथों का सम्मान करती हूं. उन्होंने कहा : मैं ऐसे कार्यक्रम में कैसे शामिल हो सकती हूं, जिसमें भाजपा सीधे तौर पर शामिल है? मैं उन लोगों के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होती, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस से नफरत करते हैं और महात्मा गांधी के आदर्शों का पालन नहीं करते. मेरे बंगाल और मेरे शिक्षकों ने मुझे बनाया है. जो बंगाल का अपमान करते हैं और बांग्ला विरोधी है, मैं उनके साथ नहीं हूं. मुख्यमंत्री और राज्यपाल सीवी आनंद बोस दोनों को निमंत्रण भेजा गया था. राज्यपाल बोस ने कार्यक्रम में भाग लिया, जबकि बनर्जी अनुपस्थित रहीं. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा : एक सच्चे हिंदू को ऐसे निमंत्रणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यदि वे ऐसा करते हैं, तो इससे उनकी आस्था पर संदेह पैदा होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

