कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने अलीपुर स्थित विशेष अदालत में सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल की है. जांच एजेंसी का आरोप है कि अस्पताल के पार्किंग और कैफेटेरिया के ठेके अपने खास लोगों को दिलाने के लिए अफसरों ने बड़े पैमाने पर दस्तावेजों में फर्जी साइन कराये. इस गड़बड़ी में अस्पताल के तत्कालीन डिप्टी सुपरिटेंडेंट अख्तर अली और शशिकांत चंदक की मुख्य भूमिका बतायी गयी है. सीबीआइ ने शशिकांत के साइन की फॉरेंसिक जांच भी करायी है, जिसमें जालसाजी की पुष्टि हुई है. चार्जशीट में कहा गया है कि अली और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष अधिकारी बनने से पहले ही अफसर अली खान नामक आरोपी के संपर्क में था. बाद में अफसर अली खान, घोष का सुरक्षा कर्मी बना और कथित तौर पर उनके भ्रष्टाचार में शामिल पाया गया. सीबीआइ पहले ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. जांच में सामने आया है कि कैफेटेरिया के लिए आठ फर्मों से कागजी कोटेशन लिये गये थे, जिनमें एक फर्म अफसर अली खान की पत्नी नर्गिस के नाम पर थी. इन फर्मों के प्रतिनिधियों के साइन शशिकांत चंदक ने जालसाजी करके तैयार किये थे. इसी के आधार पर ठेका अख्तर और संदीप के करीबी लोगों को दिलाया गया. नियमों को दरकिनार करते हुए तीन महीने के बदले एक साल का ठेका दे दिया गया. इतना ही नहीं, नर्गिस के नाम पर पांच साल तक ठेका बढ़ाने के लिए भी फर्जी आवेदन दाखिल किया गया. सीबीआइ का कहना है कि इस आवेदन को आगे बढ़ाने वालों में दो व्यक्तियों के नाम के पास ””””विधानसभा सदस्य”””” का उल्लेख किया गया है. जांच जारी है कि यह समर्थन किस आधार पर दिया गया था. पार्किंग ठेका भी विवादों में घिर गया है. आरोप है कि पार्किंग से वसूली गयी रकम में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई और इस ठेके के कागज़ात में भी साइन जालसाजी की गयी. कई मामलों में दो अलग-अलग कंपनियों के इनवॉयस का इस्तेमाल करके रकम निकाली गयी. एक ठेकेदार के नकली साइन के आधार पर 95,316 रुपये तक निकाले जाने का आरोप है. चार्जशीट में साफ आरोप लगाया गया है कि शशिकांत चंदक की मदद से ही इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया. सीबीआइ ने अदालत को सूचित किया है कि 16 दिसंबर को अख्तर अली और शशिकांत चंदक दोनों को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है.
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