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विधानसभा: तृणमूल व भाजपा विधायकों में हाथापाई की नौबत

राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन अभूतपूर्व हंगामे का गवाह बना.

मार्शल ने भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष को घसीटकर सदन से निकाला

डेढ़ घंटे से अधिक समय तक सदन में नारेबाजी व हंगामा रहा जारी

मुख्यमंत्री के पूरे भाषण के दौरान भाजपा विधायकों ने की नारेबाजी

सीएम को कई बार बंद करना पड़ा अपना संबोधन

बांग्ला भाषी श्रमिकों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव पारित

संवाददाता, कोलकाताराज्य विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन अभूतपूर्व हंगामे का गवाह बना. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे ही प्रस्ताव पर बोलने के लिए खड़ी हुईं, भाजपा विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी. लगातार नारेबाजी व सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने पांच भाजपा विधायकों को सस्पेंड कर दिया. मुख्यमंत्री ने अपने कार्यालय में पहली बार विधानसभा में इस तरह के विरोध का सामना किया. सदन के भीतर तृणमूल और भाजपा विधायकों में हाथापाई की नौबत आ गयी थी. तब अपने विधायकों को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री को खुद मोर्चा संभालना पड़ा. हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष को शेष दिन के लिए निलंबित कर दिया. पर, श्री घोष के सदन से जाने से इनकार करने पर विधानसभा के मार्शलों को बुलाया गया और उन्हें सदन से घसीटकर बाहर निकाला गया. इसका विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया. श्री घोष को बाद में अस्पताल ले जाना पड़ा.

क्या है मामला: बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ तृणमूल सरकार की ओर से विशेष सत्र में पेश प्रस्ताव पर चर्चा में पांच विधायकों को बोलना था. सीएम को जवाबी भाषण देना था. अध्यक्ष की सूची के अनुसार ही विधायकों ने सदन को संबोधित किया. सदन में प्रश्न काल के दौरान भाजपा के विधायक अनुपस्थित थे. सत्र के दूसरे भाग में वे पहुंचे. लेकिन, उनके पहुंचने के पहले चर्चा शुरू हो गयी थी. भाजपा के दो विधायकों को चर्चा में हिस्सा लेना था. पर, विलंब से पहुंचने के कारण भाजपा विधायक अरूप कुमार दास बोल नहीं पाये. भाजपा विधायकों का दावा था कि अग्निमित्रा पाल का नाम वक्ता सूची में पांचवें स्थान पर था. जबकि उन्हें दूसरे स्थान पर बोलने के लिए बुलाया गया था. तब भाजपा के विधायक सदन में नहीं थे. ऐसे में भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने अग्निमित्रा पाल को बोलने देने का अनुरोध किया. पर, स्पीकर बिमान बनर्जी इसके लिए तैयार नहीं थे. हालांकि मुख्यमंत्री के कहने पर उन्होंने अग्निमित्रा पाल को बोलने का अवसर दिया. अग्निमित्रा पाल को 23 मिनट का समय दिया गया था. पर, आरोप है कि 15 मिनट में ही माइक बंद कर दिया गया. पहले तो विरोध इस बात को लेकर हुआ. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रस्ताव पर बोलने ही वाली थीं कि फिर हंगामा शुरू हो गया.

इस बार भाजपा विधायकों ने दो सितंबर को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के निलंबन पर सवाल उठाते हुए नारे लगाये, जिस पर सत्ता पक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई. इससे टकराव बढ़ गया, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी का विरोध किया, जिससे विधानसभा की कार्यवाही में कई बार व्यवधान उत्पन्न हुआ. हंगामा जारी रहने पर विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने अव्यवस्था फैलाने के आरोप में भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष को शेष दिन के लिए निलंबित कर दिया. श्री घोष के सदन से जाने से इनकार करने पर मार्शलों को बुलाया गया और उन्हें सदन से घसीटकर बाहर निकाला गया. हंगाम दोपहर 1.50 बजे शुरू हुआ जो 3.42 बजे तक चला. इस दौरान सीएम को कई पार अपना भाषण रोकना पड़ा. हंगामे से हताश ममता बनर्जी ने सवाल किया, भाजपा मुझे सदन में बोलने क्यों नहीं दे रही है ? एक समय तो तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक भाजपा की बेंचों की ओर बढ़ते देखे गये, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया. हंगामे के बावजूद अध्यक्ष बनर्जी ने सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की तथा निर्धारित कार्यवाही जारी रखने पर अडिग रहे. भाजपा विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष की ओर से उन पर पानी की बोतलें फेंकी गयीं. मुख्यमंत्री ने भाजपा विधायकों पर बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर गंभीर चर्चा को जानबूझकर विफल करने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नहीं चाहती कि सच्चाई सामने आये. असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वे सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं. मुख्यमंत्री का भाषण समाप्त होने के बाद भाजपा विधायकों ने विधानसभा से बहिर्गमन किया. प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. प्रस्ताव के पारित होने से पहले ही भाजपा विधायक वॉकआउट कर गये.

भाजपा के पांच विधायक निलंबित

सदन में हंगामे के बीच शंकर घोष समेत पांच विधायकों को निलंबित कर दिया गया. श्री घोष के बाहर निकालने से हंगामा बढ़ने पर भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल, मिहिर गोस्वामी, बंकिम घोष और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य अशोक डिंडा को निलंबित कर दिया गया. सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस होने से माहौल गरमा गया. दोनों समूहों के बीच किसी भी तरह की हाथापाई को रोकने के लिए मार्शल मौजूद रहे. डेढ़ घंटे से अधिक समय तक सदन में दोनों तरफ से लगातार नारेबाजी व हंगामा चलता रहा. मुख्यमंत्री के पूरे भाषण के दौरान भाजपा विधायकों ने जबरदस्त नारेबाजी की. इस दौरान सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने भी भाजपा को चोर- चोर बताते हुए नारेबाजी की. विपक्षी विधायक नारेबाजी कर रहे थे और कागज के टुकड़े भी फाड़कर फेंकें.

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