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मच्छर काटने से मौत : देना होगा बीमा क्लेम

कोलकाता: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने एक अहम फैसले में मच्छर काटने से होने वाली मौतों पर भी बीमा क्लेम देने का आदेश दिया है. अदालत ने इसे भी दुर्घटना मानते हुए बीमा कंपनी को इसका हर्जाना देने का निर्णय सुनाया है. फैसला सुनाते हुए आयोग के जज वीके जैन ने कहा कि […]

कोलकाता: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने एक अहम फैसले में मच्छर काटने से होने वाली मौतों पर भी बीमा क्लेम देने का आदेश दिया है. अदालत ने इसे भी दुर्घटना मानते हुए बीमा कंपनी को इसका हर्जाना देने का निर्णय सुनाया है. फैसला सुनाते हुए आयोग के जज वीके जैन ने कहा कि दुर्घटना अचानक होती है और इसकी कोई प्लानिंग नहीं होती. ऐसे में यह मानना भी कठिन है कि मच्छर के काटने से हुई मौत एक्सीडेंट नहीं होती. जज ने कहा किसी को नहीं पता होता कि मच्छर काटेगा और उससे किसी को मलेरिया हो जायेगा और उसकी मौत हो जायेगी.
कोर्ट ने यह निर्णय कोलकाता निवासी मौसमी भट्टाचार्य की याचिका पर सुनाया, जिसमें उन्होंने अपने पति की मलेरिया से हुई मौत पर बीमा कंपनी से मुआवजा मांगा था. एक चाय फैक्टरी में काम करने वाले मौसमी के पति देबाशीष ने नवंबर 2012 में बैंक ऑफ बड़ौदा होम लोन सुरक्षा बीमा नाम से एक पॉलिसी ली थी. यह बीमा पालिसी कंपनी की ओर से हाउस लोन को कवर करने के लिए की गयी थी. कर्ज की शर्तों के अनुसार, लोन लेने वाले व्यक्ति की दुर्घटना से होने वाली मौत के बाद लोन की सारी रकम बीमा कंपनी की ओर से दी जायेगी. देबाशीष ने इसके लिए वन टाइम प्रीमियम जमा कराया था.
वहीं, उनकी अचानक मौत के बाद जब उनकी पत्नी मौसमी ने लोन की रकम माफ कराने के लिए आवेदन किया तो कंपनी ने उसे खारिज कर दिया. तर्क दिया गया कि मच्छर काटने से हुई मौत दुर्घटना नहीं है इसलिए यह बीमा कवर में नहीं आती, क्योंकि मलेरिया एक बीमारी है दुर्घटना नहीं. इस संबंध में मौसमी ने पहले जिला उपभोक्ता फोरम, फिर राज्य उपभोक्ता फोरम और उसके बाद राष्ट्रीय कमीशन में अपील की, तीनों जगह कोर्ट ने कंपनी के तर्क को गलत माना.
आयोग ने क्यों माना दुर्घटना
आयोग के अनुसार बीमा कंपनी, कुत्ता काटने, सांप काटने और इसी तरह की अन्य मौतों को दुर्घटना मानती है, तो ऐसे में मच्छर काटने से हुई मौत को भी दुर्घटना माना जायेगा. कोर्ट ने इस दौरान ब्लैक लॉ का भी संदर्भ ‌दिया जिसमें कहा गया कि एक दुर्घटना अचानक होती है. मामले में अब कोर्ट ने मौसमी का लोन माफ करने का आदेश दिया गया है.

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