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राजस्थानी भाषा व संस्कृति के विकास की जरूरत

राजस्थानी प्रचारिणी सभा की ओर से संगोष्ठी का आयोजन कोलकाता : अपनी भाषा के प्रति चेतना विकसित करने के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता है. यह सुखद बात है कि कई स्कूलों में भी राजस्थानी भाषा की पढ़ाई हो रही है. राजस्थानी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष रतन शाह ने भारतीय भाषा परिषद में आयोजित कार्यक्रम […]

राजस्थानी प्रचारिणी सभा की ओर से संगोष्ठी का आयोजन
कोलकाता : अपनी भाषा के प्रति चेतना विकसित करने के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता है. यह सुखद बात है कि कई स्कूलों में भी राजस्थानी भाषा की पढ़ाई हो रही है.
राजस्थानी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष रतन शाह ने भारतीय भाषा परिषद में आयोजित कार्यक्रम में ये बाते कहीं. इस अवसर पर देश के सबसे कम बारिश वाले राज्य के लोगों ने जल से जुड़ी जनमानस में रची-बसी कविताओं का पाठ किया.
राजस्थान की विरासत को संभाले कोलकाता के प्रवासी राजस्थानी समुदाय की गतिविधियों में भाषा की महत्ता से लेकर यहां की संस्कृति के बारे में नयी पीढ़ी को जागरूक करने के प्रयास में कई गणमान्य लोगों की महती भागीदारी थी. राजस्थानी भाषा के लेखक व स्तंभकार वंशीधर शर्मा ने अपने मोहक व्याख्यान में राजस्थान की संस्कृति व मौसम से लेकर लोक भावना को संक्षेप में बताया. प्रमोद शाह ने उत्तर दिशा से आई रे बादरी बरसे चारो ओर… गीत के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया.
उनके साथ कुमारी आस्था बुबना ने भी प्रकृति के स्वभाव के साथ राजस्थान के लोगों की मिलकर चलने की प्रवृति का जिक्र किया जिसकी वजह से राजस्थानी समाज पूरे विश्व में अपनी दमदार उपस्थिति के साथ मौजूद है. इस अवसर पर अन्य विशिष्ट अतिथियों में डॉ शारदा फतेहपुरिया, रतन अग्रवाल, राजेंद्र केडिया, रमेश डागा, सुंदर पारेख, बालकिशन खेतान, अजय अग्रवाल, घनश्याम शोभासरिया, महेश लोधा, संदीप गर्ग आदि शामिल थे.

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