जलपाईगुड़ी : आरोपियों की सूची में गोजमुमो नेता विमल गुरुंग व रोशन गिरि के साथ विनय तमांग का नाम होने के बावजूद पुलिस उन्हें अलग नजर से क्यों देख रही है. यह सवाल गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट ने उठाया. गुरुवार को हाइकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के न्यायधीशों जयमाल्य बागची और मनोजीत मंडल की डिवीजन बेंच में विमल गुरुंग और रोशन गिरि की अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई.
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विनय तमांग के प्रति पुलिस का अलग नजरिया क्यों : हाइकोर्ट
जलपाईगुड़ी : आरोपियों की सूची में गोजमुमो नेता विमल गुरुंग व रोशन गिरि के साथ विनय तमांग का नाम होने के बावजूद पुलिस उन्हें अलग नजर से क्यों देख रही है. यह सवाल गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट ने उठाया. गुरुवार को हाइकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के न्यायधीशों जयमाल्य बागची और मनोजीत मंडल की डिवीजन […]
विमल गुरुंग की ओर से उनके वकील ने अदालत को बताया कि कई मामलों में विमल और रोशन के साथ विनय तमांग भी आरोपी हैं. इन मामलों में पुलिस ने विनय तमांग को छूट दे दी है और केवल विमल गुरुंग और रोशन गिरि को गिरफ्तार करना चाह रही है.
जिन मामलों में विमल और रोशन की जमानत अर्जी का पुलिस की ओर से विरोध किया जा रहा है, उन्हीं मामलों में विनय तमांग बिना जमानत लिये आराम से दार्जिलिंग में रह रहे हैं. इस पर जस्टिस जयमाल्य बागची ने सरकारी पक्ष से जानना चाहा कि विनय तमांग के प्रति पुलिस का नजरिया अलग क्यों है.
जज के सवाल पर सरकारी पक्ष की ओर से कई दलीलें पेश की गयीं. लेकिन डिवीजन बेंच इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई. आगे की सुनवाई में सरकारी पक्ष को इस बिंदु पर विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ आने को कहा गया है. सरकारी वकील अदिति शंकर चक्रवर्ती ने डिवीजन बेंच से कहा कि विनय तमांग बहुत से मामलों में पुलिस को अपना बयान दे चुके हैं.
इस पर जस्टिस जयमाल्य बागची ने कहा, ‘पुलिस को सहयोग करने का मतलब क्या अपराध का कम हो जाना है?’ बात को और साफ करते हुए जस्टिस बागची ने कहा कि मान लीजिए दो भाई मिलकर किसी का खून करते हैं. एक भाई पुलिस को सहयोग करता है और बताता है कि खून किस तरह हुआ.
इसका मतलब यह तो नहीं है कि उस भाई का गुनाह कम हो जायेगा.सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से विमल गुरुंग और रोशन गिरि के खिलाफ दर्ज सभी मामलों की सूची अदालन में जमा की गयी. इस सूची की एक कॉपी विमल गुरुंग के वकीलों को दी गयी. इस दिन विमल और रोशन के अलावा गोजमुमो के कई बड़े नेताओं की अंतरिम जमानत की अर्जी पर भी सुनवाई हुई.
दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के दौरान डिवीजन बेंच ने कई टिप्पणियां भी कीं. एक टिप्पणी में बेंच ने कहा कि जन-नेताओं को ऐसा आचरण करना चाहिए और ऐसी बातें करनी चाहिए, जिससे कार्यकर्ता और समर्थकों में उत्तेजना ना फैले. जस्टिस बागची ने एक टिप्पणी में कहा, ‘कोई नेता अच्छा है या नहीं, हम यह विचार नहीं कर रहे हैं. हम यह विचार करेंगे कि किसी ने आपराधिक कृत्य किया है या नहीं.’
गुरुवार को जमानत अर्जी पर बहस करने के लिए विमल गुरुंग की ओर से तीन वकील उतरे थे. सीनियर एडवोकेट वाइजी दस्तूर के अलावा आनंद भंडारी और उर्गेन लामा ने उनका पक्ष रखा. वहीं सरकार की ओर से अदिति शंकर चक्रवर्ती ने बहस की. आगामी सोमवार को भी मामले की सुनवाई होगी. उस दिन राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त सरकार का पक्ष रखेंगे.
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