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‘डगर के साथी मुझे तुम याद रखना’ : राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी

कोलकाता : ‘डगर के साथी मुझे तुम याद रखना, जिंदगी के सफर में मिलना और बढ़ना… डगर के साथी मुझे तुम याद रखना…’ कविता की ये पंक्तियां पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में ओसवाल भवन में आयोजित सार्वजनिक संवर्द्धना समारोह में कहीं. इस अवसर पर महानगर की […]

कोलकाता : ‘डगर के साथी मुझे तुम याद रखना, जिंदगी के सफर में मिलना और बढ़ना… डगर के साथी मुझे तुम याद रखना…’ कविता की ये पंक्तियां पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में ओसवाल भवन में आयोजित सार्वजनिक संवर्द्धना समारोह में कहीं.

इस अवसर पर महानगर की सौ से अधिक साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं ने राज्यपाल को संवर्द्धना दी. ओसवाल भवन में संवर्द्धना देने वालों का शैलाब उमड़ आया था. श्री त्रिपाठी रविवार को प्रयागराज के लिए रवाना हो जायेंगे. उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीप धनखड़ को नया राज्यपाल बनाया गया है. श्री धनखड़ 30 जुलाई को बंगाल के नये राज्यपाल का शपथ लेंगे.

संवर्द्धना से भावुक श्री त्रिपाठी ने कहा : संस्थाओं के सम्मान से मैं अभिभूत हूं. इससे ज्यादा कोई शब्द हो, तो अपनी वाणी से मैं कहता हूं. विगत पांच वर्षों में कोलकाता में मुझे इतना स्नेह और सम्मान मिला, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता. जीवन का क्रम चलता रहता है. लोग मिलते रहेंगे, बिछड़ते रहेंगे. मन में यादें छोड़ जायेंगे.

उन्होंने कहा, पांच वर्ष पहले जब मैं आया था, तो असमंजस्य के साथ आया था. यहां के लोगों में मैं असीम प्रेम और विश्वास देखा. मुझे लगा कि मैं प्रेम का भागीदार बन सकूं. आप लोगों का प्रेम पाकर मेरी मनोकामना पूर्ण हुई है. आपलोगों का विश्वास और प्रेम मेरी संपत्ति है. इस कार्यक्रम में उसी का प्रदर्शन हुआ है. राज्यपाल के रूप में कई संस्थाओं के कार्यक्रम में भाग लिया. कुछ संस्थाएं रुग्ण अवस्था में थीं. उन्हें भी प्रचार-प्रसार मिला. यह मेरी सफलता है. इससे प्रसन्नता मिलती है.

उन्होंने कहा, मैं राजनीति में, विधि व्यवसाय में सक्रिय रहा. साहित्य में कविता के अलावा मेरा कोई योगदान नहीं है, लेकिन यहां आकर साहित्यिक वातावरण मिला. हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में कविताएं लिखीं और प्रकाशित हुईं. उनके अनवाद ओड़िया, अंग्रेजी, बांग्ला, राजस्थानी आदि कई भाषाओं में प्रकाशित हुईं. अब मैं आश्वस्त हूं कि यहां से जाने के बाद भी मेरी लेखिनी निष्क्रिय नहीं होगी. प्रयागराज में मेरे जन्मदिन पर होने वाले कार्यक्रम में जितने लोग आते हैं. इसमें उससे भी ज्यादा लोग आये हैं.

श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रो. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा : आप भले ही राज्यपाल नहीं रहेंगे, लेकिन सभी के दिलों में रहेंगे. आपकी याद से पूरा शहर सुशोभित रहेगा. कार्यक्रम के प्रधान अतिथि व भारतीय संग्रहालय के निर्देशक प्रो. राजेश पुरोहित व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ से आये पूर्व प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडेय ने राज्यपाल की सहृदयता की प्रशंसा की.

कार्यक्रम का संचालन तारा दूगड़ ने किया. कवि गिरिधर राय, सुशील ओझा, योगेंद्र शुक्ल सुमन व दुर्गाव्यास ने कविता पाठ कर राज्यपाल को संवर्द्धना दी, जबकि पंडित ओमप्रकाश मिश्र ने राज्यपाल की कविता का समधुर गान किया. समाज की विशिष्ट हस्तियां महावीर प्रसाद बजाज, लक्ष्मीकांत तिवारी, जयप्रकाश सिंह, शार्दूल सिंह जैन, बनवाली लाल सोती, गोविंदराम अग्रवाल, सज्जन तुलस्यान, अरुण प्रकाश मल्लावत, सरदार मल्ल कांकरिया, कृपा शंकर चौबे, सुधीर कुमार पाटोदिया, सुशील ओझा, जगमोहन बागला, सुधा जैन, योगेश राज उपाध्याय, पंडित श्रीकांत शास्त्री, अजय नंदी, डॉ नीना सेनगुप्ता, मनोहर बागड़ी, मीना पुरोहित, श्रीमोहन तिवारी, अनुराग त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने राज्यपाल को संवर्द्धना दी.

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