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अमेरिका में इलाज पर खर्च होंगे दो करोड़ रुपये

जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है अर्नेस कोलकाता : लड़खड़ाते नन्हें कदमों से डग भर कर चलने वाला अर्नेस साव बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है. अपने मासूम ख्वाबों में खोया पहली कक्षा का यह छात्र मेडिकल साइंस के लिए चुनौती बना हुआ है. क्योंकि अर्नेस मांसपेशियों की एक खास किस्म की गंभीर बीमारी डीएमडी […]

जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है अर्नेस

कोलकाता : लड़खड़ाते नन्हें कदमों से डग भर कर चलने वाला अर्नेस साव बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है. अपने मासूम ख्वाबों में खोया पहली कक्षा का यह छात्र मेडिकल साइंस के लिए चुनौती बना हुआ है. क्योंकि अर्नेस मांसपेशियों की एक खास किस्म की गंभीर बीमारी डीएमडी (डचेन मस्कुलर डिस्ट्रोफी) से पीड़ित है. यह मासूम महज चंद दिनों का मेहमान है.
क्योंकि भारत में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. चिकित्सकों के अनुसार डीएमडी कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक बीमारी है. भारत के मेडिकल साइंस के लिए डीएमडी एक पहेली बनी हुई है. लेकिन अमेरिका में इस बीमारी का इलाज है. अर्नेस के लिए भी दवा अमेरिका से मंगानी पड़ेगी है.
इस बीमारी के इलाज पर सालाना दो करोड़ रुपये का खर्च है. इतनी बड़ी रकम का जुगाड़ करना अर्नेस के पाता-पिता के लिए संभव नहीं है. उसके अभिभावकों ने मदद के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से गुहार लगायी है. अर्नेस के अभिभावकों को राज्य स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि वह इलाज खर्च वहन नहीं कर सकता है. हालांकि अब तक केंद्र सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है. बच्चे के पिता इंद्रजीत साव ने अब हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
अर्नेस उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी स्थित गरीफा इलाके का रहनेवाला है. उसके पिता इंद्रजीत एक स्थानीय स्कूल में अस्थायी क्लर्क है और मां हाउस वाइफ. ऐसे में पति-पत्नी अपने बेटे की चिकित्सा के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाने में लाचार हैं. उधर, अर्नेस की शारीरिक परेशानी बढ़ती जा रही है. अब उसे सीढ़ी चढ़ने व चलने फिरने में भी परेशानी हो रही है.

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