कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें हाइकोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की गयी थी कि किसी भी मुस्लिम लड़कियों को वयस्क होने या 12वीं कक्षा पूरी करने तक शादी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि सरकार को विवाह को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाने का ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि स्कूल शिक्षा मंत्री को दिये गये अभ्यावेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्थिति में, यह एक नीतिगत मामले से संबंधित है. यह याचिका नाजिया इलाही खान द्वारा दायर की गयी थी, जिन्होंने अदालत को बताया था कि राज्य के अधिकारी सभी मुस्लिम लड़कियों के लिए शादी से पहले कम से कम 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य बनाने के उनके प्रतिनिधित्व पर कार्रवाई करने में विफल रहे हैं. उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि यह मुद्दा बड़े पैमाने पर जनता, विशेषकर इस्लामिक समुदाय को प्रभावित करता है. इस तरह की निष्क्रियता ने उनकी (मुस्लिम लड़कियों की) तकलीफें बढ़ा दी हैं और उन्हें और भी अधिक हाशिए पर धकेल दिया है. हालांकि, हाइकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया.
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मुस्लिम लड़कियों के लिए शादी से पहले 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य करने की याचिका खारिज
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें हाइकोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की गयी
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