कोलकाताः पश्चिम बंगाल में चुनाव खत्म होने के बाद राजनीतिक उठापटक और राजनीतिक हिंसा दोनों जारी है. एक ओर दलबदल का दौर चल रहा है, तो दूसरी ओर राजनीतिक हिंसा भी थमने का नाम नहीं ले रही है. बीरभूम जिला में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की कथित तौर पर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी, जबकि उत्तर 24 परगना के बनगांव सांगठनिक जिला के उपाध्यक्ष ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है.
भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बीरभूम जिला में उसके नेता की हत्या कर दी है. मृतक की पहचान मिथुन बागदी के रूप में हुई है. वह कैरासोल ग्रामीण मंडल का सह-अध्यक्ष था. बताया गया है कि मिथुन पर शनिवारर को बीरभूम में धारदार हथियार से हमला किया गया. गंभीर रूप से घायल अवस्था में उसे पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया.
इसी सप्ताह भाजपा के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पर हमला बोला था. कहा था कि चुनाव परिणाम के बाद से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपा नेताओं पर हमले कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि चुनाव के बाद भाजपा के 37 कार्यकर्ताओं की सत्ताधारी दल समर्थित गुंडों ने हत्या कर दी. उनका यह भी दावा है कि पिछले 5 साल में प्रदेश में 166 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गयी है.
तपन सिन्हा ने भाजपा से नाता तोड़ा
उधर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय के तृणमूल कांग्रेस में जाने के बाद उनके बेहद करीबी माने जाने वाले उत्तर 24 परगना जिला बनगांव भाजपा सांगठनिक जिला के उपाध्यक्ष तपन सिन्हा ने अपने पद व पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने बनगांव सांगठनिक जिला भाजपा के अध्यक्ष को व्हाट्सएप पर इसकी जानकारी देते हुए एक पत्र भेजा. सांगठनिक जिला अध्यक्ष डॉक्टर मानसपति देव ने इसकी पुष्टि की है.
तपन सिन्हा ने अपना एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि चुनाव के बाद बंगाल की राजनीति में एक राजनीतिक अस्थिरता है. हत्याएं हो रही हैं. बहुत लोग मारे गये हैं. ऐसी स्थिति में मैं काम भी नहीं कर पा रहा था. किसी पर दोषारोपण नहीं करूंगा. काम नहीं कर पा रहा, तो पद पर रहना भी उचित नहीं है. इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं.
जहां स्वार्थ पूरा होगा, वहां जा रहे हैं- भाजपा
बनगांव सांगठनिक जिला भाजपा के महासचिव देवदास मंडल ने कहा कि तपन सिन्हा तृणमूल कांग्रेस से आये थे. वह निहित स्वार्थ से आये थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आयी, तो उनका स्वार्थ पूरा नहीं हुआ. यही वजह है कि अब जहां उनका स्वार्थ पूरा होगा, उस तरफ टर्न ले रहे हैं. भाजपा को इससे कोई नुकसान नहीं होगा. बंगाल के दो करोड़ 28 लाख लोगों ने भाजपा को वोट दिया है. इन नेताओं के जाने से भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
Posted By: Mithilesh Jha