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जो लोन लिया ही नहीं, वो चुकाने के दबाव में युवक ने दे दी जान

फर्जी दस्तावेजों से सरकारी मुलाजिम बता निकाला 14.48 लाख का लोन

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छह लोगों को नामजद आरोपी बना कर हीरापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज जांच में जुटी पुलिस आसनसोल/बर्नपुर. हीरापुर थाना क्षेत्र के बर्नपुर नर्सिंगबांध दुबेपाड़ा इलाके के निवासी पवन कुमार निराला ने जो लोन लिया ही नहीं, उसे चुकाने के दाबाव में जहर पीकर आत्महत्या कर ली. जिसे लेकर मृतक के भाई टाटा कुमार ने संजय दास, सबिता कुशवाहा, मुकेश मंडल, ऋषि वर्मन, अविनाश, सुदीप व अन्य को आरोपी बनाकर हीरापुर थाने में शिकायत दर्ज करायी. शिकायत में यह बताया गया कि उनके भाई का दस्तावेज फर्जी करके उसे राज्य सरकार के इंजीनियरिंग विभाग का लोवर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) बताकर आरोपियों ने 14.48 लाख रुपये का लोन निकलवा लिया. यह राशि मृतक के खाते में गया. यह राशि उक्त लोगों के खाते में भेजने के बाद पूरी राशि चुकाने के लिए दाबाव बनाने से परेशान होकर आत्महत्या की.

शिकायत के आधार पर हीरापुर थाना में गुरुवार को कांड संख्या 110/25 में बीएनएस की धारा 338/336(3)/340(2)/318(4)/108/61(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई है.

क्या है पूरा मामला

टाटा कुमार ने अपनी शिकायत में लिखा कि उनके भाई पवन कुमार निराला को पेट दर्द की शिकायत पर दो अप्रैल अपरान्ह में स्थानीय एक चिकित्सक दिखाया गया. जिसने कुछ दवाएं दी, लेकिन राहत नहीं मिली. तुरंत उसे दूसरे चिकित्सक को दिखाया गया. उसने पवन को अस्पताल में दाखिल करने को कहा. जिसके बाद शाम को जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया. यहां पवन ने अपने भाई को बताया कि उसने जहर पिया है. जब उससे कारण पूछा गया तो उसने बताया कि जनवरी 2024 में उसे पैसों की बहुत जरूरत थी. उसने अपने एक मित्र संजय दास से पैसे की बात की. संजय ने उसे लोन मुहैया कराने का आश्वासन दिया और उसे सबिता कुशवाहा के पास ले गया. कुछ दिनों बाद पवन के खाते में 14.48 लाख रुपये आ गये. इसपर वह हैरान हो गया कि उसे 1.5 लाख रुपये की जरूरत थी, इतनी बड़ी रकम कहां से आ गया. उसने संजय से संपर्क किया तो उसने बताया कि गलती से यह राशि चला आया है. संजय के कहने पर डेढ़ लाख रुपये रखकर बाकी राशि उक्त सभी आरोपियों के खाते में उसने लौटा दिए. बाद में लोन का डेढ़ लाख रुपये भी व्याज के साथ उसने चुका दिया. उसके बाद से आरोपियों ने कर्ज की पूरी राशि चुकाने के लिए दाबाव बनाने लगे. पवन को बाद में पता चला कि राज्य सरकार के इंजीनियरिंग विभाग के एलडीसी बताकर, उसके दस्तावेजों की जालसाजी करके आरोपियों ने लोन निकाला था. लोन चुकाने के दाबाव के कारण उसने जहर खाने का निर्णय लिया.

गौरतलब है फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रेलवे का कर्मचारी बताकर बैंक से लोन पास हो गया. किस्ती फेल होने पर जांच शुरू हुई, तब जाकर खुलासा हुआ कि फर्जी दस्तावेजों पर लोन हुआ. जिसे लेकर बैंक प्रबंधन की ओर से थाने में प्राथमिकी दर्ज होने का एक अन्य मामला भी काफी चर्चा में है. शिकायत के आधार पर इस मामले में भी मृतक के जानकारी के बगैर लोन निकल गया. मामले की जांच में पुलिस जुट गयी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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