आसनसोल.
प्रभात खबर में सोमवार को ‘कोयला चोरी में रेलवे रेक का उपयोग होने का आरोप’ शीर्षक के साथ प्रकाशित खबर पर पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ओवरलोडिंग के कारण बंकोला रेलवे साइडिंग में रेक को लौटाया गया. वजन के दौरान ओवरलोड पाये जाने पर रेक को पुशबैक (वापस भेजना) करना रेलवे लोडिंग ऑपरेशन का एक मानक तरीका है. ओवरलोडेड वैगन ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेन मूवमेंट के लिए सीधा सेफ्टी रिस्क पैदा करते है. रेलवे लोडिंग स्टैंडर्ड के अनुसार प्रति वैगन अधिकतम 62 टन वजन तक लोड करने का प्रावधान है. इस लिमिट से ज्यादा लोड को ओवरलोडिंग माना जाता है. ओवरलोड रेक को ठीक करना इंडियन रेलवे में एक रूटीन प्रैक्टिस है. बंकोला रेलवे साइडिंग में जो रेक पुशबैक किया गया, इस प्रोसेस में बिल्कुल कोई गड़बड़ी या असामान्यता नहीं है. इस रेक का वजन दुबराजपुर वेब्रिज पर किया गया, जहां कुछ वैगन में ओवरलोडिंग पायी गयी. इसलिए रेलवे के तय सेफ्टी नियमों के मुताबिक, लोड ठीक करने के लिए रेक को पुशबैक किया, यह काम रूटीन, स्टैंडर्ड है और सुरक्षित ट्रेन मूवमेंट पक्का करने के लिए सख्ती से किया जाता है. रेलवे रेक का इस्तेमाल करके कोयला चोरी के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. सभी रेक मूवमेंट, लोडिंग, अनलोडिंग और वजन करने की एक्टिविटी पर रेलवे अधिकारी बारीकी से नजर रखते हैं. रेक प्लेसमेंट, मूवमेंट और लोड करेक्शन से जुड़े सभी ऑपरेशन सख्त प्रोटोकॉल वाले ट्रांसपेरेंट प्रोसेस के तहत किया जाता है. रेलवे रेक से कोयला चोरी के दावे का कोई सबूत नहीं है. गौरतलब है कि भाजपा जिला कमेटी के नेता ने रेलवे रेक का उपयोग कोयला चोरी में होने का आरोप लगाकर पीएमओ ग्रीवांस सेल, सीबीआइ और कोयला मंत्रालय अधीन विभिन्न विभागों में की है. जिसपर रेलवे ने अपना पक्ष रखा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

