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शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ महायज्ञ

आसनसोल/जामुड़िया : जामुड़िया के निंघा में अखिल भारतीय ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान निंघा आश्रम द्वारा आयोजित दो दिवसीय 1101 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ कार्यक्रम की शुरुआत सद्गुरु मंदिर उद्घाटन एवं शोभायात्रा के साथ शुरू हो गई. आचार्य सद्गुरु श्री स्वतंत्र देव जी महाराज एवं संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज का पदार्पण निंघा […]

आसनसोल/जामुड़िया : जामुड़िया के निंघा में अखिल भारतीय ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान निंघा आश्रम द्वारा आयोजित दो दिवसीय 1101 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ कार्यक्रम की शुरुआत सद्गुरु मंदिर उद्घाटन एवं शोभायात्रा के साथ शुरू हो गई.

आचार्य सद्गुरु श्री स्वतंत्र देव जी महाराज एवं संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज का पदार्पण निंघा आश्रम में शुक्रवार की देर रात हुई. शनिवार की सुबह से ही विहंगम योग के अनुयायियों एवं श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था. आश्रम के पीछे मंचीय कार्यक्रम के भव्य पंडाल बनाया गया है. सुबह से ही भंडारा शुरू हो गया था जो पूरे दिन चलता रहा.
इस दौरान आश्रम को भव्य रूप से सजाया गया है. सद्गुरु अचार्य स्वतंत्र देव जी महाराज एवं संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज को नवनिर्मित आचार्य निवास में ठहराया गया है. जहां सुबह से ही भक्तों का सद्गुरु के दर्शन करने का तांता लगा रहा. संध्या में आसनसोल नगर निगम के मेयर सह पांडेश्वर के विधायक जितेंद्र तिवारी ने आचार्य सद्गुरु का दर्शन प्राप्त कर आशीर्वाद लिया.
इसके पश्चात सद्गुरु ने निंघा आश्रम के अध्यक्ष सह समाजसेवी कृष्णा प्रसाद के साथ सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज मंदिर का शीलापट्ट का अनावरण एवं फीता काटकर उद्घाटन किया. इसके पश्चात वाहनों द्वारा सद्गुरु के नेतृत्व में विशाल शोभायात्रा निकाली गई. शोभायात्रा निंघा आश्रम से शुरू होकर कालीपहाड़ी मोड़, आसनसोल शहर होते हुए, भगत सिंह मोड़, जुबली मोड़, बाईपास होते हुए वापस आश्रम में आकर समाप्त हुई.
आश्रम पहुंचकर सद्गुरु एवं संत प्रवर ने पूरे कार्यक्रम स्थल की परिक्रमा की एवं मंचीय कार्यक्रम का उद्घाटन सद्गुरु ने दीप प्रज्वलित कर एवं सद्गुरु सदाफल देव महाराज की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया. इसके बाद सद्गुरु एवं संत प्रवर के माल्यार्पण के पश्चात अतिथियों का सम्मान किया गया. इसके पश्चात भजन प्रवचन का कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. अंत में संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज की दिव्यवाणी प्रवाहित हुई.
इसके पूर्व संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए विहंगम योग के विषय में बताया कि विहंगम योग संत समाज एक सामाजिक और आध्यात्मिक संगठन है, जो मानव मन की शांति के लिए के लिए कार्य कर रहा है. विहंगम योग संत समाज की स्थापना 1934 में विहंगम योग के प्रणेता सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज ने अपने 17वर्षीय साधना के बाद किया था.
ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान ना केवल एक अध्यात्मिक संगठन है बल्कि एक सामाजिक संगठन भी है, जो समाज सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़ा है. हमारे देश की संस्कृति बहुत महान है. विश्व के विद्वान हमारे देश की संस्कृति को समझने से पहले भारत को समझना चाहते हैं.विहंगम योग ऋषियों का योग है. जिसमें मानव के अशांत मन को शांत करने का प्रयास करते हैं.
सबकी शांति- समृद्धि की कामना के साथ सब में प्रेम, भाईचारा की भावना लिए ब्रह्मविद्या विहंगम योग संत समाज निरन्तर कार्य कर रहा है. उन्होंने पूरे विश्व को इस ज्ञान से जुड़ने का संदेश दिया. रविवार सुबह 10 बजे से 1101 कुंडीय विश्व शांति की वैदिक महायज्ञ की शुरुआत होगी.

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