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प्लेटलेट्स 40,000 से कम होने पर बढ़ता है खतरा, वरना घर में ही डेंगू का इलाज है संभव

आसनसोल : आसनसोल सहित पूरे राज्य में डेंगू को लेकर आतंक का माहौल बना हुआ है तथा इसे केंद्र कर पक्ष व विपक्ष के बीच राजनीति चरम पर पहुंच गयी है. डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने को लेकर मरीजों में कन्फ्यूजन का फायदा तुछ निजी अस्पताल तथा लैब उठा रहे हैं. डेंगू के शुरूअती […]

आसनसोल : आसनसोल सहित पूरे राज्य में डेंगू को लेकर आतंक का माहौल बना हुआ है तथा इसे केंद्र कर पक्ष व विपक्ष के बीच राजनीति चरम पर पहुंच गयी है. डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने को लेकर मरीजों में कन्फ्यूजन का फायदा तुछ निजी अस्पताल तथा लैब उठा रहे हैं. डेंगू के शुरूअती लक्षण में प्लेटलेट्स की संख्या घटने से मरीज के डर को निजी अस्पतालों के चिकित्सक बढ़ा-चढ़ा कर मरीजों के परिजनों को ठग रहे हैं.

प्लेटलेट्स को लेकर सही स्थिति क्या है और इसे चढ़ाने की कब जरूरत पड़ती है, इस पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से बात की गयी तो पता चला कि अगर 40 हजार से नीचे प्लेटलेट्स हैं तो मरीज की हालत काफी गंभीर हो जाती है. ऐसे मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. अगर 40 हजार याइससे अधिक प्लेटलेट्स हैं तो घबड़ाने की जरूरत नहीं है. इलाज चिकित्सक की सलाह पर घर में भी हो सकता है. प्लेटलेट्स के 20 हजार के नीचे चले जाने पर मरीज की जान को खतरा हो सकता है.
इससे पता चलेगा कि प्लेटलेट्स कैसा रहेगा
एक्सपर्ट चिकित्सकों की माने तो एक साधारण जांच इबैच्योर प्लेटलेट्स फ्रैक्शन (आईपीएफ) के बाद पता चल जाता है कि किस मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है और किस मरीज को आनेवाले दिनों में प्लेटलेट्स और कम हो सकता है. इस जांच से दो फायदे हैं. पहला, अगर प्लेटलेट्स कम है तो भी प्लेटलेट्स चढ़ाने या नहीं चढ़ाने का फैसला किया जा सकता है और प्लेटलेट्स ज्यादा हैं तो यह पता लगाया जा सकता है कि आनेवाले समय में प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं या नहीं. चिकि त्सकों का दावा है कि इस जांच के बाद मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने को लेकर कंफ्यूजन दूर होगा और फिजूलखर्ची भी रूकेगी. लोगांे को इलाज करने में सहुलियत भी होगी.
कैपिलरी लीकेज है डेंगू में मौत का कारण
डेंगू में मौत का कारण कैपिलरी लीकेज (खून का स्त्रव) है. लीकेज की हालत में इंट्रावैस्कुलर कपार्टमेंट में खून की कमी हो जाती है. इससे शरीर के कई सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं. और शरीर में तरह- तरह की समस्या उत्पन्न होने लगती है . इसका नतीजा यह निकलता है कि मरीज की हालत गंभीर हो जाती है और अगर समय पर चिकित्सक से संपर्क नहीं किया गया तो मरीज की मौत हो जाती है. ऐसे में मरीजों को ध्यान देना चाहिए कि उनका उच्च और निम्न प्रेशर का अंतर 40 तक ही रहे.
इससे अधिक न हो तथा पेशाब भी ठीक से समय पर होता रहे. साथ ही िचकित्सक को िदखाकर उनका राय लेते रहें. शरीर में खुन की कमी शरीर के अंदर बहुत सारी बिमारियों को उत्पन्न करती है . सनद रहे िक राज्य सरकार की पहल पर विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी तथा िशक्षण संस्थानांे की ओर से इस िबमारी को लेकर जागरूकता रैलियां निकाली जा रही है. नगर निगम के स्तर से व्याप्त सफाई अिभयान चलाया जा रहा है . आवासीय परिसरांे व इलाकांे में जल जमाव न होने देने का आग्रह िकया जा रहा है .
जागरूकता के अभाव में फैल रहा अत्यधिक आतंक पूरे शिल्पांचल में
राज्य की राजनीति इसे लेकर पहुंच गयी चरम पर, आरोप-प्रत्यारोप जारी
जानकारी नहीं होने से गलत दावे ठगे जा रहे मरीजों के परिजन
कब पड़ती है प्लेटलेट्स की जरूरत
सामान्यत: एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्लेटलेट्स होते हैं. प्लेटलेट्स की उम्र पांच से नौ दिन तक होती है. शरीर में हर रोज हजारों प्लेटलेट्स टूटते और बनते रहते हैं. यह प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है. प्लेटलेट्स की संख्या डेढ़ लाख से कम होने पर उसे प्लेटलेट्स की कमी कहा जाता है. प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार से कम होने पर रोगी की जान को खतरा हो सकता है. इस स्थिति में रोगी को प्लेटलेट्स चढ़ाना बेहद जरूरी हो जाता है.
डेंगू में प्लेटलेट्स घटे तो क्या करें
प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर पेट की अंदर की त्वचा लाल हो जाती है. इससे एसिडिटी और गैस की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे हालात में रोगी को कच्चा, भारी तीखा और मसालेदार आहार नहीं देना चाहिए.
रोगी को चाय, कॉफी, शराब, धूम्रपान से दूर रहना चाहिए
एक साथ अधिक आहार देने की जगह थोड़ा-थोड़ा आहार हर दो से तीन घंटे पर देना चाहिए.
प्लेटलेट्स कम होने पर बिना चिकित्सक की सलाह से कोई भारी दवा या चूर्ण लेने से हानि हो सकती है.
ब्रश करते समय दांतों को जोर से नहीं घिसना चाहिए.
आसनसोल : आसनसोल सहित पूरे राज्य में डेंगू को लेकर आतंक का माहौल बना हुआ है तथा इसे केंद्र कर पक्ष व विपक्ष के बीच राजनीति चरम पर पहुंच गयी है. डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने को लेकर मरीजों में कन्फ्यूजन का फायदा तुछ निजी अस्पताल तथा लैब उठा रहे हैं. डेंगू के शुरूअती लक्षण में प्लेटलेट्स की संख्या घटने से मरीज के डर को निजी अस्पतालों के चिकित्सक बढ़ा-चढ़ा कर मरीजों के परिजनों को ठग रहे हैं.
प्लेटलेट्स को लेकर सही स्थिति क्या है और इसे चढ़ाने की कब जरूरत पड़ती है, इस पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से बात की गयी तो पता चला कि अगर 40 हजार से नीचे प्लेटलेट्स हैं तो मरीज की हालत काफी गंभीर हो जाती है. ऐसे मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. अगर 40 हजार याइससे अधिक प्लेटलेट्स हैं तो घबड़ाने की जरूरत नहीं है. इलाज चिकित्सक की सलाह पर घर में भी हो सकता है. प्लेटलेट्स के 20 हजार के नीचे चले जाने पर मरीज की जान को खतरा हो सकता है.
इससे पता चलेगा कि प्लेटलेट्स कैसा रहेगा
एक्सपर्ट चिकित्सकों की माने तो एक साधारण जांच इबैच्योर प्लेटलेट्स फ्रैक्शन (आईपीएफ) के बाद पता चल जाता है कि किस मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है और किस मरीज को आनेवाले दिनों में प्लेटलेट्स और कम हो सकता है. इस जांच से दो फायदे हैं. पहला, अगर प्लेटलेट्स कम है तो भी प्लेटलेट्स चढ़ाने या नहीं चढ़ाने का फैसला किया जा सकता है और प्लेटलेट्स ज्यादा हैं तो यह पता लगाया जा सकता है कि आनेवाले समय में प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं या नहीं. चिकि त्सकों का दावा है कि इस जांच के बाद मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने को लेकर कंफ्यूजन दूर होगा और फिजूलखर्ची भी रूकेगी. लोगांे को इलाज करने में सहुलियत भी होगी.
कैपिलरी लीकेज है डेंगू में मौत का कारण
डेंगू में मौत का कारण कैपिलरी लीकेज (खून का स्त्रव) है. लीकेज की हालत में इंट्रावैस्कुलर कपार्टमेंट में खून की कमी हो जाती है. इससे शरीर के कई सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं. और शरीर में तरह- तरह की समस्या उत्पन्न होने लगती है . इसका नतीजा यह निकलता है कि मरीज की हालत गंभीर हो जाती है और अगर समय पर चिकित्सक से संपर्क नहीं किया गया तो मरीज की मौत हो जाती है. ऐसे में मरीजों को ध्यान देना चाहिए कि उनका उच्च और निम्न प्रेशर का अंतर 40 तक ही रहे.
इससे अधिक न हो तथा पेशाब भी ठीक से समय पर होता रहे. साथ ही िचकित्सक को िदखाकर उनका राय लेते रहें. शरीर में खुन की कमी शरीर के अंदर बहुत सारी बिमारियों को उत्पन्न करती है . सनद रहे िक राज्य सरकार की पहल पर विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी तथा िशक्षण संस्थानांे की ओर से इस िबमारी को लेकर जागरूकता रैलियां निकाली जा रही है. नगर निगम के स्तर से व्याप्त सफाई अिभयान चलाया जा रहा है . आवासीय परिसरांे व इलाकांे में जल जमाव न होने देने का आग्रह िकया जा रहा है .

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