कोलकाता : कानून की इंटर्न छात्र के यौन उत्पीड़न के मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की एक समिति द्वारा दोषारोपित किये गये न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली आज तीसरे दिन भी पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के दफ्तर नहीं आये. इस बीच उनके इस्तीफे की मांग तेज हो गयी हैं.
पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘न्यायमूर्ति गांगुली आज दफ्तर नहीं आये.’’ अधिकारी ने यहां पीटीआई को बताया, ‘‘वह गुरुवार से दफ्तर नहीं आ रहे. वह लगातार तीसरे कामकाजी दिन दफ्तर नहीं आये.’’ जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या आयोग के अध्यक्ष की गैरमौजूदगी से सामान्य कामकाज प्रभावित हो रहा है तो उन्होंने कहा, ‘‘हां, जिन मामलों में आयोग को बैठकें करनी होती हैं या उनके संज्ञान की जरुरत होती है, वह सब उनकी गैरमौजूदगी में नहीं हो पा रहा.’’
न्यायमूर्ति गांगुली पर एक इंटर्न ने पिछले साल दिसंबर में दिल्ली के एक होटल के कमरे में यौन उत्पीड़न किये जाने का आरोप लगाया था. उन्होंने इन आरोपों का पुरजोर खंडन किया था.
शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की समिति ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश गांगुली को एक महिला इंटर्न के प्रति अशोभनीय व्यवहार और कदाचार का दोषी माना था जिसके बाद उनके आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की मांगें तेज हो गयीं.
वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने गांगुली के इस्तीफे की मांग की थी. उनके सुर में सुर मिलाते हुए पार्टी नेत्री स्मृति ईरानी ने आज कहा, ‘‘मुङो लगता है कि पूरे देश के लिए यह मिसाल पेश करना बहुत महत्वपूर्ण होगा कि यदि न्यायिक संस्था या संविधान का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई शख्स कानून को तोड़ता है तो उस पर भी कानून के तहत कार्रवाई होगी.’’