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UP Budget 2023: यूपी बजट आज, आम आदमी के कर्ज में इजाफा, जानें यूपी के हर नागरिक पर कितना है ऋण

UP Budget Session 2023: योगी सरकार बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी. इसका आकार सात लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान जताया जा रहा है. हालांकि जिस तरह से बजट का आकार बढ़ रहा है, उसी प्रकार प्रत्येक नागरिक के सिर पर कर्ज में भी इजाफा होता जा रहा है. सरकार को राजकीय घाटा कम करना जरूरी है.

UP Budget Session 2023: सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना सदन में योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट प्रस्तुत करेंगे. अनुमान के मुताबिक बजट का आकार सात लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है.

बजट में सरकार का इन बिंदुओं पर फोकस

ये उत्तर प्रदेश में अब तक का सबसे भारी भरकम बजट होगा. इसलिए इसे महाबजट भी कहा जा रहा है. हालांकि इतने बड़े बजट के बावजूद आम आदमी को इसे बड़ी राहत नहीं मिलती है, क्योंकि उसके लिए बजट में सीधे तौर पर वेतन वृद्धि या टैक्स में कमी होने जैसा ऐलान आम तौर पर नहीं होता है. हालांकि चुनावी घोषणा पत्र और चुनाव को लेकर सरकार बजट में धन आवंटन करके थोड़ी राहत देने का प्रयास करती है.

इस तरह राजस्व जुटाती है सरकार

सरकार केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, राज्य वस्तु एवं सेवा कर, वैट, निगम कर, भू-राजस्व, स्टांप एवं पंजीकरण शुल्क और करेत्तर राजस्व के साथ पेट्रोल व डीजल पर राज्य सरकार वैट लगाकर कमाई करती है. इसके बावजूद बड़े राज्य की जरूरतें ज्यादा होने के कारण उस पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है.

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हर वर्ष बढ़ता जा रहा कर्ज का बोझ

वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार पर कुल 4.45 लाख करोड़ रुपये कर्ज था, जो वित्तीय वर्ष 2020-21 तक करीब 5.65 लाख करोड़ रुपये हो गया. इस ऋण के सापेक्ष प्रति व्यक्ति कर्ज की बात की जाए तो इस अवधि के दौरान यह 18476 रुपये से बढ़कर करीब 26000 रुपये पहुंच गया है. इस तरह उत्तर प्रदेश के हर नागरिक पर करीब 26 हजार रुपये का कर्ज है. हर इसी तरह कमाई कम और खर्च ज्यादा होता रहा तो कर्ज को बोझ बढ़ता जाएगा.

2022-23 में 6.15 लाख करोड़ का बजट हुआ था पेश

योगी आदित्यनाथ सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के मई माह में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 6,15,518.97 करोड़ का पहला बजट पेश किया था. इसके बाद दिसंबर में 33769.54 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया था. पूर्व के बजट से तुलना करें तो 2022-23 का वार्षिक बजट 2021-22 के वार्षिक बजट से 10 प्रतिशत अधिक था. वहीं 2021-22 के बजट का आकार 5.5 लाख करोड़ रुपये था और इसे फरवरी 2021 में पेश किया गया था.

चुनावी समीकरण साधने का होगा प्रयास

इस बार जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट से पहले इसे आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बताया है, उससे माना जा रहा है कि सरकार का फोकस लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी होगा. योगी सरकार की पूरी कोशिश होगी कि बजट के जरिए चुनावी समीकरण साधे जा सकें, जिससे पार्टी को यूपी में मिशन 80 साधने में मदद मिले. इसके लिए नई योजनाओं की सौगात दी सकती है. पिछले बजट में 39,181.10 करोड़ की नई योजनाएं शामिल थीं. इस बार इनका दायरा और बड़ा हो सकता है.

राजकीय घाटा कम करना जरूरी

प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में राजकोषीय घाटा 81 हजार 177 करोड़ 97 लाख रुपये था. जो वर्ष के लिये अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3.96 प्रतिशत था. इस बार इसकी क्या स्थि​ति होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. राजस्व घाटा कम किए बगैर सरकार न सिर्फ अपने विकास के लक्ष्य को पूरा कर सकती है और ना ही आम आदमी के सिर पर कर्ज का बोझ कम हो सकता है.

वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट के मुताबिक आंकड़े

यहां से होती है कमाई

  • स्वयं के कर-36.5 प्रतिशत

  • करेत्तर राजस्व-3.9 प्रतिशत

  • केंद्रीय करों में राज्यांश-24.2 प्रतिशत

  • केंद्र सरकार से सहायता-17.9 प्रतिशत

  • लोक लेखा शुद्ध-1.0 प्रतिशत

  • लोक ऋण-13.1 प्रतिशत

  • समस्त लेन देन का शुद्ध परिणाम-3.0 प्रतिशत

  • कर्ज एवं अग्रिम की वसूली-0.4 प्रतिशत

यहां इतना खर्च करती है सरकार

  • पूंजीगत परिव्यय-20.5 प्रतिशत

  • वेतन सरकारी-13.1 प्रतिशत

  • वेतन सहायता प्राप्त संस्थाएं-12.2 प्रतिशत

  • पेंशन-12.8 प्रतिशत

  • सहायता अनुदान-9.3 प्रतिशत

  • ब्याज-7.6 प्रतिशत

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