!!लखनऊ से राजेन्द्र कुमार!!
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा में छिड़ी अंदरूनी लड़ाई को देखते हुए अब कई राजनीतिक दलों में मुसलिम मतों को अपने पाले में लाने को लेकर घमसान मचा है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पहला मौका है, जब सूबे के प्रमुख तीन दल सपा, बसपा और कांग्रेस मुसलिम वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए खुल कर एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. राज्य में मुसलिम वोटों की तादाद लगभग 19 प्रतिशत है. हर सीट पर मुसलिम वोटर्स हैं, कहीं कम और कहीं ज्यादा. सूबे की कुल 403 विधानसभा सीटों में लगभग 150 सीटों पर मुसलिम वोट निर्णायक हैं. इस वोट बैंक के जरिये ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बीते 27 वर्षों के अपने सियासी वनवास को खत्म करने की आशा में है. कांग्रेस के नेता सत्ता पर काबिज सपा की अखिलेश सरकार को तथा फि मायावती के अल्पसंख्यक विरोधी कार्यों व नीतियों को जनता में बताने का अभियान छेड़े हुए हैं.
वहीं, दूसरी तरफ मायावती मुसलिम समाज को लुभाने के लिए दो बुकलेट के जरिये बसपा को मुसलिम समाज का हितैषी बता रही हैं, जबकि अखिलेश यादव बसपा प्रमुख की इन बुकलेट को जवाब देने के लिए नयी उमंग और नया सवेरा मैगजीन सूबे के मदरसों और इबादतगाहों तक पहुंचाने में जुटे हैं. नयी उमंग और नया सवेरा मैगजीन में अखिलेश सरकार द्वारा मुसलिम समाज की बेहतरी के लिये गये फैसलों का ब्योरा है. इसमें मुसलिम समाज से सपा पर भरोसा बनाये रखने की दरख्वास्त की गयी है. नयी उमंग मैगजीन से मुसलमानों को बताया गया कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुसलिम छात्रों को तैयार करने की नीयत से स्थापित मुलायम सिंह यादव स्टडी सेंटर के पहले बैच के 39 छात्रों में से 28 को अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाबी मिली है. मैगजीन के कवर पेज पर मुख्यमंत्री की नमाजी टोपी पहने फोटो है. इसमें अखिलेश यादव का एक इंटरव्यू भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जितने काम उनके कार्यकाल में अभी तक हुए हैं, उतने पिछले 20 सालों में भी नहीं हुए.
अखिलेश सरकार के कार्यकाल में करीब पांच हजार बेगुनाहों को रिहाई पर भी एक स्टोरी इसमें है. हथकरघा बुन कर पेंशन योजना, उर्दू अकादमी, हज यात्रियों को दी जानेवाली सहूलियात, गाजियाबाद हज हाउस का लोकार्पण, कब्रिस्तानों की चारदीवारी का निर्माण, मदरसों में सेवा नियमावली लागू करने तथा उनकी ग्रांट बढ़ाने के अलावा मुसलिम बहुल इलाकों में मॉडल इंटर कालेज खोलने की योजना, मुअल्लिमीने उर्दू का प्रकरण जैसे मुसलिम विषयों पर रिपोर्ट भी इसमें हैं. जबकि, मायावती के निर्देश पर हिंदी और उर्दू में छपी सोलह पेज की बुकलेट में 13 बिंदुओं के साथ बसपा के मुसलिम समाज का हितैषी होने और विपक्षी दलों को मुसलिम विरोधी का दावा किया गया है. मुसलिम समाज का सच्चा हितैषी कौन? फैसला आप करें, शीर्षक से छापी गयी इस बुकलेट में सपा सरकार के कई अहम फैसलों का हवाला देकर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश को मुसलिम विरोधी और बसपा को मुसलिम हितैषी साबित करने का प्रयास किया गया है.
मायावती की तसवीर वाली इस बुकलेट में सफाई देने की शैली में लिखा गया है कि बसपा ने भाजपा के साथ मिल कर तीन बार यूपी में सरकार बनायी, पर संघ के एजेंड़े को कभी भी लागू होने नहीं दिया. बुकलेट में लिखा गया है कि यूपी में जब से अखिलेश की सरकार बनी है, तबसे यूपी में मुजफ्फरनगर सहित 400 छोटे-बड़े सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं, जिनमें मुसलमानों का सबसे ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ. फिलहाल, बसपा द्वारा छपवायी गयी बुकलेट को मुसलिम समाज के हर व्यक्ति पहुंचाने में पार्टी के कार्यकर्ता जुटे हैं. जबकि अखिलेश सरकार की मैगजीन नयी उमंग और नया सवेरा को 10 हजार मदरसों और 1500 छोटी-बड़ी इबादतगाहों से मुसलिम समाज तक सपा की आवाज को पहुंचा रही है.