कानपुर : ट्रेन हादसे ने करीब तीन साल की बच्ची सृष्टि के सिर मां-बाप का साया छीन लिया. वह अपने मां-बाप के साथ इंदौर से ट्रेन में सवार हुई थी. परिवार को यूपी के अंबेडकरनगर स्टेशन पर उतरना था. इसके पहले ही कानपुर के समीप ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गयी. माता-पिता दोनों ने दम तोड़ दिया. सृष्टि इतनी भयभीत है कि वह कभी रोती है, तो कभी शून्य आंखों से आते-जाते लोगों को निहारती है. उसे भी चोट लगी है. इलाज के लिए कानपुर देहात के माटी अस्पताल में भरती कराया गया है.
गुड़िया दो टुकड़ों में बंट गयी
इस ट्रेन के स्लीपर कोच में उज्जैन से एक परिवार सवार हुआ था. इस परिवार की दो साल की मासूम बच्ची गुड़िया बाकी यात्रियों से घुलमिल गयी थी. साथ यात्रा कर रहे एक यात्री ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ, गुड़िया जग रही थी और बर्थ पर ही खेल रही थी. अचानक ट्रेन डिरेल हुई और उस मासूम बच्ची का शरीर दो टुकड़ों में बंट गया. एस-5 में यात्रा कर रहे बहराइच के बीके त्रिपाठी बताते हैं कि भगवान महाकाल की कृपा है कि मेरी जान बच गयी. लेकिन, मेरे साथ यात्रा कर रहे लोगों का कोई पता नहीं है. वह बताते हैं कि इतनी हिम्मत भी नहीं हो रही है कि ट्रेन के पास जायें.
मृतकों की संख्या इतनी क्यों
ट्रेन से आधुनिक ‘लिंक हाफमैन बुश’ (एलएचबी) डिब्बे की अनुपस्थिति से हताहतों की संख्या बढ़ी है. यदि स्टेनलेस स्टील एलएचबी डिब्बे होते तो क्षति कम होती, क्योंकि इन डिब्बों में ज्यादा सुरक्षा उपाय होते हैं, जो ट्रेन के पटरी से उतरने की स्थिति में ज्यादा असरदार तरीके से झटकों और इसके प्रभाव को झेल सकते हैं.
