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आजम खान की यूनिवर्सिटी पर प्रवर्तन निदेशालय की नजर, शत्रु संपत्ति कानून के उल्लंघन का संदेह

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के लिए नयी मुसीबत खड़ी हो गयी है. आरोप है कि उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में वह जो विश्वविद्यालय चला रहे हैं, उसे शत्रु संपत्ति कानून का उल्लंघन कर कब्जा किया गया

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के लिए नयी मुसीबत खड़ी हो गयी है. आरोप है कि उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में वह जो विश्वविद्यालय चला रहे हैं, उसे शत्रु संपत्ति कानून का उल्लंघन कर कब्जा किया गया, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन मामले के तहत जांच शुरू कर दी है. शत्रु संपत्ति वह अचल संपत्ति है, जिसे पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गये लोगों और 1962 भारत-चीन युद्ध के बाद चीन जा चुके लोग यहां छोड़ गये हैं.

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आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तानी नागरिकों ने करीब 9,280 ऐसी संपत्तियां छोड़ी हैं, जबकि चीनी नागरिकों ने 126 संपत्तियां छोड़ी हैं. इनका विनियमन शत्रु संपत्ति कानून के तहत होता है. रामपुर से लोकसभा सांसद और अखिलेश यादव के शासन काल में राज्य के कैबिनेट मंत्री रहे खान पर केंद्रीय जांच एजेंसी धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर चुकी है. जमीन हड़पने और उगाही के आरोपों में स्थानीय पुलिस द्वारा कम से कम 26 आपराधिक मामले दर्ज करने के आधार पर केंद्रीय एजेंसी ने उन पर मामला दर्ज किया है.

ईडी के निशाने पर ‘मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय’ है, जिसे खान ने 2006 में स्थापित किया था. बताया जाता है कि विश्वविद्यालय में तीन हजार छात्रों का नामांकन है और यह 121 हेक्टेयर में फैला हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, अगर जमीन हड़पने और शत्रु संपत्ति कानून का उल्लंघन करने के आरोप सही पाए जाते हैं, तो प्रवर्तन निदेशालय धनशोधन निवारण कानून के प्रावधानों के तहत जल्द ही विश्वविद्यालय परिसर को जब्त कर सकता है.

रामपुर जिला प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि ईडी के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय से हमसे इस बारे में जानकारी मांगी गयी है, जिसमें विश्वविद्यालय का गठन करते समय पेश किये गये सभी दस्तावेज मांगे गये हैं. जिलाधिकारी जिले में ‘शत्रु संपत्ति’ का उपसंरक्षक होता है. इस मामले में ‘शत्रु संपत्ति’ रामपुर जिले के सिंगन खेरा तहसील में स्थित है और यह पाकिस्तानी नागरिक इमामुद्दीन कुरैशी का है.

सूत्रों ने बताया कि ईडी ने विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम (फेमा) के तहत भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को हाल में पत्र लिखा कि विश्वविद्यालय को मंजूरी देने से जुड़े सभी दस्तावेजों और मंजूरियों की जानकारी उससे साझा की जाये, ताकि पीएमएलए और फेमा के तहत आपराधिक जांच को आगे बढ़ाया जा सके. ईडी द्वारा जानकारी मांगे जाने के बाद रामपुर जिला प्रशासन ने कथित अवैध सौदे में बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की.

नायब तहसीलदार ने अपनी शिकायत में कहा कि ‘शत्रु संपत्ति’ को वक्फ की संपत्ति में बदलने और इसे मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को हस्तांरित करने का पूरा सौदा सरकारी कर्मचारियों की कथित मिलीभगत से हुआ, ताकि विश्वविद्यालय और खान को लाभ पहुंचाया जा सके. प्राथमिकी में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार खान, वक्फ बोर्ड के इमाम और रामपुर नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी एस एम तारिक का नाम है.

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