नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के गठबंधन पर तीखा तंज करते हुए आज कहा कि कुछ लोग ‘सर्कस के शेर’ बन चुके हैं और वे खुद पर भरोसा करने के बजाय दूसरे की ‘जूठन‘ पर निर्भर हो गये हैं. मुख्यमंत्री ने विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान सपा-बसपा के गठजोड़ पर कटाक्ष करते हुए किसी का नाम लिये बगैर कहा, ‘कुछ लोग आजकल सर्कस के शेर हो गये हैं. सर्कस का जो शेर होता है वह शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिए दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है.’
उन्होंने कहा कि वह इसलिए गौरवान्वित होता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे कोई शिकार मिल गया है, तो ‘सर्कस का शेर’ बनने के बजाय खुद पर और अपने स्वाभिमान पर विश्वास करें तो बहुत अच्छी बात होगी. योगी ने समाजवाद को लेकर भी एक शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर सपा सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए पीठ से इसे सदन की कार्यवाही से निकालने का अनुरोध किया. बहरहाल, योगी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि समाजवाद ‘मृगतृष्णा’ से ज्यादा कुछ नहीं है. देश समाजवाद नहीं, बल्कि रामराज्य चाहता है. सपा सदस्यों ने कहा कि समाजवाद तो संविधान के प्राक्कथन का हिस्सा है.
मुख्यमंत्री योगी सरकार के सबसे बड़े पद पर हैं और संविधान की ही शपथ लेकर यहां पहुंचे हैं. उन्हें समाजवाद के बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिए. बहरहाल, मुख्यमंत्री ने समाजवाद के बारे में कहा कि उन्हें इस ‘बहुरूपिए ब्रांड’ के बारे में अच्छी जानकारी है. यह ब्रांड कभी जर्मनी में नाजीवाद के रूप में और इटली में फासीवाद के रूप में देखने को मिला है. क्या उत्तर प्रदेश में इसका वीभत्स रूप गुंडाराज के तौर पर देखने को नहीं मिला है? योगी ने बजट को लेकर विपक्षी दलों की टिप्पणियों को सच से मुंह मोड़ने की कोशिश करार दिया और कहा कि इस बजट को जन विरोधी और विकास विरोधी कहने वालों की बातें समझ से परे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने चार लाख 28 हजार करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया है. पिछले साल जुलाई में पेश बजट में कृषि विभाग को आबंटित धन का 98 प्रतिशत खर्च हो चुका है.