लखनऊ : हाल ही में कांग्रेस का दामन थामने वाले पूर्व बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी का विरोध करने वाले कांग्रेस के संगठन मंत्री संजय दीक्षित को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. पार्टी ने दीक्षित से जवाब तलब किया था. लेकिन आज उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया.
कभी मायावती के करीबी माने जाने वाले नसीमुउद्दीन सिद्दीकी ने पांच दिन पहले कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली थी. उन्हें पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने राहुल गांधी की अनुमति के बाद सदस्यता दिलाई. इसके पीछे पार्टी की मंशा बुंदेलखंड में पार्टी को मजबूत करना है. लेकिन इसके बाद पार्टी में ही नसीमुउद्दीन का विरोध होना शुरू हो गया था.
सबसे पहले संगठन मंत्री संजय दीक्षित ने सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए अपना विरोध जताया. संजय दीक्षित ने आरोप लगाया कि जिन नेताओं ने सिद्दीकी को पार्टी ज्वाइन कराई उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके बारे में सही जानकारी नहीं दी.
अगर राहुल गांधी को ये जानकारी दी गई होती तो नसीमुद्दीन कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाते. संजय दीक्षित ने इस मामले में पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र किये जाने का अंदेशा जताया था. उन्होंने यह भी कहा कि बड़े नेताओं ने मोटा पैसा लेकर उन्होंने पार्टी में शामिल किया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भ्रमित कर शामिल हुए हैं. संजय दीक्षित ने कहा था कि हमारे प्रदेश के कुछ नेता जो मैनेजर हैं, उन्होंने पार्टी को जानकारी नहीं दी. एक ऐसे व्यक्ति को कांग्रेस कार्यालय में महिमामंडित किया गया है, जो मायावती कार्यकाल में लूट का सेनापति था.
उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में सिद्दीकी का कोई जनाधार नहीं है और वह हमेशा से ही पिछले दरवाजे से विधान परिषद में पहुंचे हैं. इसके बाद पार्टी ने दीक्षित को जवाब तलब किया था. इसके बाद अनुशासन समिति को भेजे अपने जवाब में संजय दीक्षित ने लिखा कि मेरा विरोध केवल नसीमुद्दीन सिद्दीकी से है और किसी से नहीं है.