लखनऊ : उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में भाजपा के बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) पर एक बार फिर सवाल उठाये हैं. उन्होंने निकाय चुनावों में इससे छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. यहां चर्चा कर दें कि इससे पहले 2014 के आम चुनाव के दौरान भी वह इवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा चुकी हैं. निकाय चुनाव के परिणामों पर सवाल किये जाने पर मायावती ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि यदि 2019 के लोकसभा चुनाव बैलट पेपर पर होते हैं तो बसपा उनका सफाया कर देगी.
मायावती ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यदि भाजपा ईमानदार है और लोकतंत्र में विश्वास करती है तो उसे इवीएम हटा देना चाहिए और बैलट पेपर पर चुनाव कराने चाहिए. यदि भाजपा को विश्वास है कि जनता उसके साथ है तो उसे बैलट पेपर पर चुनाव कराने चाहिए. परिणाम भाजपा को चौंका देगा. आगे बसपा प्रमुख ने कहा कि मैं गांरटी देती हूं कि बैलट पेपर्स का इस्तेमाल किया गया तो भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी.
गौर हो कि मायावती इस साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा की करारी हार के बाद से लगातार इवीएम पर प्रश्न खड़ा कर रही है. मायावती ने आरोप लगाया था कि इवीएम छेड़छाड़ के कारण ही उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. मायावती के सवाल का जवाब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने दिया है. शर्मा ने कहा है कि वोट बैंक पॉलिटिक्स के कारण इन दलों को पराजय का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि खोट इवीएम में नहीं, बल्कि विरोध कर रहे लोगों के दिमाग में है. विपक्षी दलों पर वार करते हुए शर्मा ने कहा कि वे जाति और संप्रदाय की राजनीति करते थे, जिसके कारण उन्हें मुंह की खानी पड़ी है.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में भाजपा को प्रचंड जीत मिली है. महापौर की 16 सीटों में से 14 परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे, जबकि अलीगढ़ और मेरठ सीटें बसपा के खाते में गयी. महापौर चुनाव में सपा व कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. इन चुनाव में जहां भाजपा की आंधी चली, तो बसपा को जीत की संजीवनी भी मिली. वहीं आम आदमी पार्टी ने भी कुछ वार्ड में जीत हासिल कर यूपी की राजनीति में दस्तक दी है.