25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बासमती धान की वैज्ञानिक खेती उपयोगी, अलीगढ़ में किसानों को कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताये अच्छी पैदावार के गुर

Agriculture: कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि प्रदेश के 30 जिलों को बासमती चावल के लिए जीआई टैग मिला हुआ है. लेकिन, उत्पादन के सापेक्ष निर्यात का लाभ लेने में हमारे किसान पीछे हैं.

अलीगढ़. यूपी के अलीगढ़ में कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने बासमती किसान जागरुकता गोष्ठी में कहा कि उत्तर प्रदेश में बासमती चावल का उत्पादन बहुत बड़े क्षेत्र में किया जाता है. लेकिन उत्पादन के अनुपात में निर्यात बहुत कम है. इसकी वजह जरूरत से कहीं ज्यादा रसायनिक खाद, कीटनाशकों का प्रयोग और मानकों के अनुसार प्रोसेसिंग न होना है. सरकार की कोशिश है कि इन कमियों को दूर करते हुए किसानों को उचित लाभ दिए जाने के साथ बासमती चावल के निर्यात को बढ़ाया जाए. कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि प्रदेश के 30 जिलों को बासमती चावल के लिए जीआई टैग मिला हुआ है. लेकिन, उत्पादन के सापेक्ष निर्यात का लाभ लेने में हमारे किसान पीछे हैं. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि निर्यात योग्य बासमती धान को उपजाएं. खेती लागत को कम करें. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि बासमती की जीआई और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए गर्मी का धान न लगाएं.

बासमती धान की वैज्ञानिक खेती उपयोगी

चंदौस विकासखंड के एलमपुर गांव में बासमती किसान जागरुकता गोष्ठी में बोलते कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने कहा कि अपनी खुशबू और स्वाद के लिए भारतीय बासमती चावल दुनियाभर में पसंद किया जाता है और सरकार भी इसके निर्यात पर जोर दे रही है. जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है. सरकार की मंशा है कि उपज का बड़ा फायदा किसानों को मिलना चाहिए. जिलाधिकारी इद्र विक्रम सिंह ने कहा कि हरित क्रांति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता हो गई है. बासमती धान की विश्व में मांग और निर्यात को ध्यान में रखते हुए इसकी वैज्ञानिक खेती काफी महत्वपूर्ण है.

Also Read: लखनऊ में पहलवानों के समर्थन में उतरीं विश्वविद्यालय की छात्राएं, पुलिस हिरासत में भेजी गईं ईको गार्डन पार्क
बासमती धान के अच्छी पैदावार के बताये गुर

बासमती चावल के सेमिनार में निर्यात योग्य बासमती के अंतरराष्ट्रीय मानकों के बारे में जानकारी दी गई. सेमिनार का मुख्य फोकस निर्यात योग्य बासमती धान की पैदावार को बढ़ाने पर रहा. एपीडा के डॉ रितेस शर्मा ने बताया कि यूपी में पूसा बासमती -वन की पैदावार की जाती है. वहीं, विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि बासमती धान की अच्छी पैदावार और उत्तम गुणवत्ता लाने के लिए अच्छी प्रजाति का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस सेमिनार में 15 प्रकार के बासमती धान के बीज शोधन, बीजों का उपचार, पौध तैयार करना, रोपाई की तैयारी, सिंचाई प्रबंधन, रासायनिक एवं जैविक खाद का प्रयोग, उत्पादन, पकने की विधि, बीमारियों व कीटों के प्रभाव और नियंत्रण के बारे में किसानो को विस्तार से समझाया गया.

रिपोर्ट- आलोक सिंह अलीगढ़

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें