34.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Braj Ki Holi 2023: बालस्वरूप श्रीकृष्ण और बलराम के साथ गोपियां खेलती हैं छड़ी मार होली, जानिए कब होगा आयोजन…

छड़ी मार होली के दौरान भगवान कृष्ण और बलराम के बाल स्वरूप पूरे गोकुल गांव में भ्रमण करते हुए यमुना किनारे स्थित मुरली घाट तक आते हैं. और रंग गुलाल व फूलों द्वारा यहां होली खेलते हैं. जगह-जगह भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूपों पर पुष्प वर्षा की जाती है और उनका पूजन होता है.

Mathura: ब्रज मंडल के प्रमुख त्योहार होली पर पूरे ब्रज में कई तरह के आयोजन होते हैं. लेकिन, इसमें गोकुल की छड़ी मार होली काफी प्रमुख मानी जाती है. इस वर्ष 4 मार्च को यह होली खेली जाएगी. इसके पीछे का इतिहास भगवान कृष्ण का गोकुल में बीता हुआ बचपन देखा जाता है. आधुनिक समय में गोकुल की गोपियां कृष्ण स्वरूप को हाथों में छड़ी लेकर मारते हुए और होली खेलते हुए नजर आती हैं. आपको बताते हैं क्या है छड़ी मार होली की मान्यता.

ठाकुर जी को राजभोग का भोग लगाकर होती है छड़ी मार होली की शुरुआत

गोकुल में मौजूद नंदकिला नंद भवन के सेवायत मथुरा दास पुजारी नंद बाबा के अनुसार गोकुल में छड़ी मार होली का उत्सव सदियों से चला आ रहा है, जिसे गोकुल वासी परंपरा की तरह निभाते हैं. प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए आज भी इस छड़ी मार होली का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है. जिसमें छड़ी मार होली की शुरुआत यमुना किनारे स्थित नंदकिले के नंद भवन में ठाकुर जी के समक्ष राजभोग का भोग लगाकर की जाती है.

यमुना किनारे स्थित मुरली घाट तक आते हैं कृष्ण-बलराम के बाल स्वरूप

छड़ी मार होली के दौरान भगवान कृष्ण और बलराम के बाल स्वरूप पूरे गोकुल गांव में भ्रमण करते हुए यमुना किनारे स्थित मुरली घाट तक आते हैं. और रंग गुलाल व फूलों द्वारा यहां होली खेलते हैं. जगह-जगह भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूपों पर पुष्प वर्षा की जाती है और उनका पूजन होता है.

Also Read: स्वरा भास्कर और फहाद को AMU कैंपस में दावत पर विवाद, आमने-सामने आए छात्र नेता, टुकड़े-टुकड़े गैंग की दिलाई याद
100 गोपियां खेलती हैं बाल भगवान के साथ छड़ी मार होली

होली खेलने वाली गोपियां 10 दिन पहले से ही अपनी छड़ियो को तेल पिलाती हैं. वहीं हुरियारिनौ को दूध, दही, मक्खन, लस्सी, काजू, बादाम खिलाकर होली खेलने के लिए तैयार किया जाता है. पिछले 50 वर्षों से यह प्रथा चली आ रही है और हर साल करीब 100 गोपियां बालस्वरूप भगवान कृष्ण बलराम से छड़ी मार होली खेलती हैं.

इसलिए कहा जाता है छड़ी मार होली

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जब बाल स्वरूप के थे तब गोपियां उनके साथ छड़ी मार होली खेलती थी. वैसे तो ब्रज में लठमार होली का भी काफी प्रचलन है लेकिन छोटे बाल स्वरूप श्री कृष्ण को चोट ना लग जाए इसके लिए उन्हें छड़ी से धीमे-धीमे मारा जाता है. और इसी को छड़ी मार होली भी कहते हैं.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें